जब प्रोड्यूसर के घर के बाहर चिल्लाने लगे किशोर दा, बोले- ओ तलवार, देदे मेरे 8 हजार
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जब प्रोड्यूसर के घर के बाहर चिल्लाने लगे किशोर दा, बोले- ओ तलवार, देदे मेरे 8 हजार

एक बार किसी को प्रोड्यूसर ने उनको आधी फीस दी तो वह सेट पर आधा मेकअप करके ही पहुंच गए. कहने लगे आधी फीस तो मेकअप.

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मोहम्मद सुहेल: अदाकार गायक निर्माता निर्देशक संगीतकार हरफनमौला शख्सियत के मालिक आभास कुमार गांगुली यानी किशोर कुमार का आज जन्मदिन है. उनकी मस्ती का आलम कुछ और ही था. वह अपनी अजीब-अजीब हरकतों के लिए पूरी फिल्मी दुनिया में मशहूर थे. चंचल अंदाज़ और बेहतरीन आवाज के धनी किशोर दा के बचपन की एक रोचक घटना है. उनकी आवाज बचपन में बिल्कुल खराब हुआ करती थी. गाना तो दूर वह तो ठीक तरीके से बात भी नहीं कर पाते थे. एक बार खेलते कूदते उनका पांव एक तेज धार किसी चीज पर पड़ गया था. जिसके बाद खून बहने लगा और कई दिनों तक वो चिल्लाते रहे, क्योंकि जख्म बहुत गहरा था और दर्द भी बहुत था. जब उनका जख्म हुआ ठीक हुआ तो उनकी आवाज ही बदल गई. शायद चीखने-चिल्लाने की वजह से. उनकी आवाज में एक नहीं सिफ्त पैदा हो गी थी. वह घर पर गाना गुनगुना करते तो सब उनकी तारीफ करते. उस वक्त वह सहगल साहब के गाने सुना करते थे.

इस तरह शुरू हुआ फिल्मी सफर
अशोक कुमार जी उनके बड़े भाई थे, जो उस वक्त के एक बड़े स्टार हुआ करते थे. फिल्मों में उनकी तूती बोलती थी. किशोर दा उनसे जिद करते थे कि मैं भी गाने गाऊंगी. हालांकि अशोक कुमार हंसकर उनकी इस बात को टाल दिया करते थे. एक बार बहुत जिद करने पर 1940 में अशोक कुमार की फिल्म बंधन का एक गाना उनसे बच्चों के साथ गवाया. गाने का नाम था 'चल चल रे नौजवान'. इसके बाद किशोर कुमार को 1946 में सचिन दा ने गाने का मौका दिया. फिल्म थी '8 दिन'. इस फिल्म में उन्होंने सिर्फ दो लाइन गाई थी, 'बाके सिपाहियों घर आयो'. 1946 में ही शिकारी फिल्म में उन्होंने गीत गाया. 

अदाकारी में भी मनवाया लोहा
अशोक कुमार जी ने उन्हें खेमचंद प्रकाश से मिलवाया, जो बहुत मशहूर संगीतकार रहे हैं. उन्होंने किशोर कुमार को बाकायदा संगीत की तालीम दी उन्होंने ही जिद्दी फिल्म का वह मशहूर गीत 'मरने की दुआएं क्या मांगू' उनसे ही गवाया. यह फिल्म देव साहब की पहली बड़ी हुई थी. उसके बाद फिल्म 'बहार' का मशहूर गीत 'कुसूर आपका हुजूर आपका मेरा नाम लीजिए ना मेरे बाप का' गाया. उसके बाद किशोर कुमार की आवाज के जादू ने लोगों के दिल में एक अलग ही जगह बना ली. गायकी के साथ-साथ अपनी अदाकारी से भी उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया. चाहे वह 'चलती का नाम गाड़ी' का पागल प्रेमी कार मैकेनिक या 'हाफ टिकट' का नॉटी बॉय समेत अलग-अलग किरदार उन्होंने बखूबी निभाए. 'पड़ोसन' का किरदार आज भी लोगों के दिमाग में छाया हुआ है. 

किशोर दा की मजेदार बातें
किशोर दा एक उम्दा इंसान तो थे ही साथ ही वो एक मजेदार इंसान भी थे वह कब क्या कर बैठें कोई नहीं जानता था. एक बार किसी को प्रोड्यूसर ने उनको आधी फीस दी तो वह सेट पर आधा मेकअप करके ही पहुंच गए. कहने लगे आधी फीस तो मेकअप. इसके अलावा एक बार मशहूर प्रोड्यूसर आरसी तलवार ने उनके 8 हजार रुपये नहीं दिए तो किशोर दा उनके घर जाकर जोर-जोर चिल्लाने लगे 'ओ तलवार, दे दे मेरे 8000'.

लोगों की किया करते थे दिल खोलकर मदद
वहीं दूसरी ओर 1964 में एक फिल्म 'दाल में काला' पैसों की कमी की वजह से बंद हो गई. जिसके बाद किशोर दा प्रोड्यूसर के घर पैसे से भरा ब्रीफकेस लेकर पहुंच गए और कहने लगे कि फिल्म शुरू करो. एक किस्सा ये भी है कि किशोर के दोस्त हुआ करते थे अरुण कुमार मुखर्जी. अरुण कुमार की मौत के बाद किशोर दा उनके घर भागलपुर उनके परिवार को पैसे भेजा करते थे. 

घर पर लगे पौधों से करते थे बात
किशोर दा अपने घर में पौधे घंटो घंटो बातें करते थे. पूछने पर कहते थे कि यह सब मेरे दोस्त हैं. वो अपने गांव खंडवा बहुत प्यार करते थे. वहां के बचपन के दोस्तों के साथ दूध-जलेबी खाना उन्हें पसंद थी. उनका जब दिल करता है वह बीच में शूटिंग रुकवा कर ट्रेन पकड़कर खंडवा चले जाया करते थे.

किशोर कुमार ने अपनी उम्र मस्ती भरे तरीके अंदाज में गुजारी. पत्नी मधुबाला की मौत के बाद वह भी टूट गए थे. मायूस रहने लगे थे लेकिन उन्होंने अपने आप को संभाला. शायद किशोर दा ने जिंदगी का फलसफा पहले ही समझ लिया था.

मौत आएगी आएगी एक दिन 
जान जाएगी जाएगी लेकिन 
ऐसी बातों से क्या घबराना 
यहां कल क्यों किसे जाना 
जिंदगी एक सफर है सुहाना

किशोर दा अमर हैं उनकी हंसती खिलखिलाती आवाज सदा जिंदा रहेगी और हम सभी से यह कहती रहेगी.
चलते चलते मेरे यह गीत याद रखना 
कभी अलविदा ना कहना

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