केरल में वाम सरकार और गवर्नर के दरमियान संघर्शष जारी है. यहां राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने 9 युनिवर्सिटियों के कुलपतियों को इस्तीफा देने को कहा था. लेकिन केरल हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है.
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केरल में माकपा छोटी-छोटी बातों पर सड़कों पर उतर जाती है, लेकिन ऐसा तब होता है जब वह विपक्ष में होती है. लेकिन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के चौतरफा हमले के बाद माकपा के नेतृत्व वाली वाम मोर्चा सरकार सत्ता में रहते हुए पहली बार सड़क पर उतर रही है.
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व में माकपा 15 नवंबर को विरोध प्रदर्शन करेगी. पार्टी के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने कहा कि "अब तक के यह सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक होगा. पूरे राज्य में, मंगलवार और बुधवार को, वाम दल के कार्यकर्ता आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे. पार्टी ने खान पर विश्वविद्यालयों में संघ परिवार के एजेंडे को लागू करने की कोशिश का आरोप लगाया है.
आरिफ मोहम्मद खान ने इस महीने की शुरुआत में एक सीनेट बैठक में भाग लेने के अपने फैसले का पालन नहीं करने पर केरल विश्वविद्यालय के 15 सीनेट सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखाया. फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी ऑफ केरल के वीसी एम.एस. राजश्री और विभिन्न विश्वविद्यालयों के आठ अन्य कुलपति को पद छोड़ने के लिए कहा. इससे विजयन और पूरे वामपंथ में हड़कंप मच गया.
दीवाली के दिन केरल हाई कोर्ट ने माना कि खान द्वारा जारी पत्र, जिसमें केरल के आठ विश्वविद्यालयों के कुलपति को इस्तीफा देने का निर्देश दिया गया था, वैध नहीं था क्योंकि राज्यपाल ने खुद ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
इसलिए, अदालत ने फैसला सुनाया कि वीसी अपने पदों पर तब तक बने रह सकते हैं जब तक कि राज्यपाल कानून के तहत प्रक्रिया का पालन करने के बाद अंतिम आदेश पारित नहीं कर देते. सभी कुलपति को 3 नवंबर तक जवाब देने को कहा गया है.
खान विजयन से इस बात पर नाराज हैं कि वे परंपराओं और प्रोटोकॉल की पूरी तरह से अनदेखी कर राज्यपाल को बहुत कम सम्मान दे रहे हैं. कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने इस पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि विजयन और खान के बीच लड़ाई तेज हो रही है.
राज्य भाजपा ने धमकी दी है कि अगर खान सत्तारूढ़ वामपंथी के दबाव में आते हैं तो वे बेकार नहीं बैठेंगे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा, किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि विजयन का आवास खान के आवास से ज्यादा दूर नहीं है.
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