क्या असम में मुस्लिम नेतृत्व की हत्या करना चाहता है केंद्र; नए परिसीमन से कमजोर होगा मुसलमान ?
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1791303

क्या असम में मुस्लिम नेतृत्व की हत्या करना चाहता है केंद्र; नए परिसीमन से कमजोर होगा मुसलमान ?

चुनाव आयोग असम में परिसिमन का नया मसौदा तैयार कर रहा है, जिसे लेकर एआईयूडीएफ और कांग्रेस ने विरोध जताया है और कहा है कि इस मसौदे से असम में मुस्लिम नेतृत्व कमजोर होगा. उसके विधायकों की संख्या घट कर आधी रह जाएगी.

अलामती तस्वीर

गुवाहाटीः असम में इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के नए डीलिमिटेशन ड्राफ्ट को लेकर असम में कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने गहरी नाराजगी जताई है. एआईयूडीएफ और कांग्रेस ने एक स्वर में कहा है कि यह ड्राफ्ट प्रदेश में मुस्लिम नेतृत्व की हत्या करने के मकसद से बनाया गया है. एआईयूडीएफ विधायक ने कहा है कि अभी प्रदेश में मुस्लिम विधायकों की संख्या 31 है, लेकिन इस ड्राफ्ट के लागू होने के बाद उनकी संख्या 10 विधायकों तक सीमित हो जाएगी. 

गौरतलब है कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया पिछले 19 तारीख से गुवाहाटी के शंकरदेव कलाक्षेत्र में डीलिमिटेशन ड्राफ्ट के क्लेम एंड ऑब्जेक्शन को लेकर सभी राजनैतिक और सामाजिक संगठनों से परामर्श कर रहा है. इस दौरान असम के विपक्षी राजनीतिक दल असम प्रदेश कॉन्ग्रेस और एआईयूडीएफ ने भी इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के पास जाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. 

fallback
"आरएसएस के इशारे पर तैयार किया गया डीलिमिटेशन ड्राफ्ट" 
ज़ी मीडिया ने कांग्रेस के मुस्लिम विधायक अब्दुल रशीद मंडल और एआईयूडीएफ के सदर प्रमुख और विधायक एडवोकेट अमीनुल इस्लाम से इलेक्शन कमीशन के साथ बातचीत करने के बाद उनकी प्रतिक्रिया ली है. इस मुद्दे पर कांग्रेस के मुस्लिम विधायक अब्दुल रशीद मंडल ने कहा कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के पास उन्होंने अपने पार्टी के लीडर के साथ पहुंचकर बातचीत की है और पार्टी की तरफ से आपत्ति दर्ज कराई है. अब्दुल रशीद मंडल ने कहा कि जो नया ड्राफ्ट बनाया गया है वह ड्राफ्ट पूरी तरह गलत है. इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया डीलिमिटेशन कमेटी में सिर्फ एक मेंबर है, और एक मेंबर किस तरह से डीलिमिटेशन कर रहा है, यह सोचने वाली बात है. उन्होंने डीलिमिटेशन कानून का हवाला देते हुए कहा कि इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया का यह ड्राफ्ट पूरी तरह गैर कानूनी है. यह पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के इशारे पर तैयार किया गया डीलिमिटेशन ड्राफ्ट है. 

fallback

कांग्रेस के विधायक अब्दुल रशीद मंडल

" मुस्लिम विधायक अब कमजोर हो जाएंगे" 
इससे पहले कांग्रेस पार्टी के एक समूह ने इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के हेड ऑफिस पर जोरदार धरना- प्रदर्शन भी कर चुका है. कांग्रेस का मानना है कि इस नए मसौदे से मुस्लिम बहुल इलाके के मतदाता को अलग-अलग क्षेत्रों में बांटकर उन्हें बिखेर दिया गया है. इसी वजह से नए मसौदे के मुताबिक, किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ने वाले मुस्लिम विधायक अब कमजोर हो जाएंगे. मुस्लिम वोटर्स के वोट उन्हें नहीं मिल पाएंगे और वह चुनाव में कामयाब नहीं हो पाएंगे. देखा जाए तो यह डीलिमिटेशन ड्राफ्ट मुस्लिम समुदाय के लिए एक राजनीतिक षड्यंत्र है. एक तरफ से यह असम में मुस्लिम राजनीति की हत्या है. कांग्रेस ने कहा है कि डीलिमिटेशन ड्राफ्ट को हम कभी नहीं मानेंगे. इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ाई जारी रहेगी. 

fallback
एआईयूडीएफ के सदर प्रमुख तथा विधायक एडवोकेट अमीनुल इस्लाम

एआईयूडीएफ पहुंचा सुप्रीम कोर्ट 
वहीं, एआईयूडीएफ के सदर प्रमुख और विधायक एडवोकेट अमीनुल इस्लाम ने कहा कि प्रदेश में अभी हमारे मुस्लिम विधायकों की संख्या 31 है. इस मसौदे के बाद वह घटकर 20 या 21 हो जाएगी. 
इस ड्राफ्ट के जरिए हमारे मुस्लिम इलाके को काटकर दूसरे समुदाय के इलाके के साथ जोड़ दिया गया है. कुछ इलाकों को सिर्फ मुस्लिम मतदाताओं के साथ ही रखा है. इस वजह से हमारे मुस्लिम विधायक बहुत कम हो जाएंगे. ट्राइबल और एससी विधानसभा सीट बढ़ा दी गई है. यह सरासर आर्टिकल 332 का उल्ंघन है. इस्लाम ने कहा कि हमारे आसाम में अभी डीलिमिटेशन की जरूरत नहीं है, क्योंकि अभी तक असम में एनआरसी कंप्लीट नहीं हुआ है और सीएए भी लागू नहीं हुआ है. असम एक डिस्टरबेंस वाला एरिया है. एआईयूडीएफ के तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक केस दर्ज किया गया है. इस्लाम ने कहा कि अगर नया डीलिमिटेशन ड्राफ्ट लागू किया गया तो इससे हमारी मुस्लिम कौम को बड़ा खतरा उठाना होगा.

गुवाहाटी से शरीफ उद्दीन अहमद की रेपोर्ट 

Zee Salaam

Trending news