पूरे भारत में मनाई जा रही ईद-उल-अजहा; जानें इस्लाम में कुर्बानी का महत्व
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पूरे भारत में मनाई जा रही ईद-उल-अजहा; जानें इस्लाम में कुर्बानी का महत्व

Haj 2024: पूरे भारत में धूमधाम से ईद-उल-उजहा मनाई जा रही है. सुबह ईद की नमाज अदा की गई. लोगों ने एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी. इसके बाद कुर्बानी देने के लोग अपनी जगहों पर पहुंचे.

पूरे भारत में मनाई जा रही ईद-उल-अजहा; जानें इस्लाम में कुर्बानी का महत्व

Haj 2024: पूरे भारत में आज ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है. सुबह दिल्ली की जामा मस्जिद और देश भर के तमाम ईदगाहों में ईद की नमाज अदा की गई. इसके बाद लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी. बकरीद दुनियाभर के मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है. ईद-उल-अजहा अरबी कैलेंडर के बारहवें महीने जिलहिज्ज में मनाई जाती है. यह जिलहिज्ज की 10 तारीख को मनाई जाती है.

अरब में ईद
ईद-उल-अजहा पैगंबर इब्राहीम (अ.) की याद में मनाई जाती है. उन्होंने अल्लाह में यकीन रखते हुए अपने बेटे को कुर्बान किया था, लेकिन अल्लाह ताला ने उन्हें जीवनदान दिया था. चूंकि पूरी दुनिया में इस्लामी कैंलेंडर की तारीख अलग-अलग होती हैं इसलिए पूरी दुनिया में एक दिन आगे पीछे ईद-उल-अजहा मनाई जाती है. अरब देशों में एक दिन पहले ईद या ईद-उल-अजहा मनाई गई. यहां एक दिन पहले चांद नजर आया था. भारत और इसके पड़ोसी देशों में आज यानी 17 जून को ईद मनाई जा रही है.

कुर्बानी की अहमियत
ईद-उल-अजहा पैगंबर हजरत इब्राहीम (अ) की याद में मनाई जाती है. हजरत इब्राहीम (अ) ने अल्लाह से अपने प्यार को दिखाने के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज अपने बेटे को कुर्बान किया था. लेकिन अल्लाह के हुक्म से उनके बेटे की जगह पर एक बकरा कुर्बान हो गया था. आज भी मुसलमानों से ये उम्मीद की जाती है कि वह अपनी सबसे प्यारी चीज यानी कि अपना माल अल्लाह की राह में खर्च करें. कहा जाता है कि जब मुसलमान अपने माल से जानवर खरीद कर उसको कुर्बान करते हैं. मुसलमानों का ये अकीदा अल्लाह को बहुत पसंद है.

कुरान में है जिक्र
हजरत इब्राहीम (अ) का पूरा वाकिया कुरान में हैं. दरअसल हजरत इब्राहीम (अ) को बुढ़ापे में बहुत मिन्नतों और मुरादों के बाद एक बेटा हुआ था. लेकिन अल्लाह ने उनका इम्तेहान लेना चाहा. अल्लाह ने हजरत इब्राहीम (अ) से अपनी सबसे प्यारी चीज अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए कहा. ऐसे में हजरत इब्राहीम (अ) ने अपने बेटे को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दिया. लेकिन अल्लाह ताला ने उनके बेटे को जीनवदान दिया और इस तरह वह अल्लाह के इम्तेहान में पास हो गए.

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