Kanwar Yatra Controversy: सरकार के फैसले पर भड़के महमूद मदनी; कहा, "दुश्मन देश उठाएगा.."
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Kanwar Yatra Controversy: सरकार के फैसले पर भड़के महमूद मदनी; कहा, "दुश्मन देश उठाएगा.."

Hamood Madani on Kanwar Yatra Controversy: ​ मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों के नेमप्लेट लगाने के आदेश की आलोचना की है. संगठन के चीफ ने कहा कि इस फैसले को फौरन वापस लिया जाना चाहिए. 

Kanwar Yatra Controversy: सरकार के फैसले पर भड़के महमूद मदनी; कहा, "दुश्मन देश उठाएगा.."

Hamood Madani on Kanwar Yatra Controversy: कांवड़ यात्रा को लेकर विवाद जारी है. इस बीच मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों के नेमप्लेट लगाने के आदेश की आलोचना की है. संगठन के चीफ ने कहा कि इस फैसले को फौरन वापस लिया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने दावा किया है कि इस फैसले से उन शक्तियों को ताकत मिलेगी, जो मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार करना चाहते हैं.

क्या है पूरा मामला
दरअसल, मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर मौजूद सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नेमप्लेट लगाने का आदेश के कुछ दिनों बाद शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य के लिए ऐसा ही आदेश जारी करने का फैसला किया.

मदनी ने क्या कहा?
मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘सरकार के जरिए कांवड़ यात्रा के रूट पर धार्मिक पहचान उजागर करने वाला आदेश निंदनीय है. यह फैसला अनुचित, पूर्वाग्रह पर आधारित और भेदभावपूर्ण है.’’ उन्होंने दावा किया कि जिस तरह से सदियों तक दलित वर्ग को छुआछूत का शिकार बनाया गया, उनके अस्तित्व को अपवित्र बनाकर पेश किया गया, अब मुसलमानों के साथ भी वैसा ही व्यवहार करने और उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की ‘घिनौनी’ साजिश की जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘इस कार्रवाई से इस देश की सांस्कृतिक पहचान, इसके नक्शे, इसकी बनावट और इसकी महानता को अपवित्र किया जा रहा है जिसे महात्मा बुद्ध, चिश्ती, नानक और गांधी के देश में कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’

दुश्मन देशों को मिलेगा बल- मदनी
मदनी ने आगे कहा, ‘‘यह फैसला व्यवहारिक रूप से एक विशेष इलाकों में लागू किया जा रहा है, लेकिन इसके प्रभाव दूरगामी होंगे और उन शक्तियों को ताकत मिलेगी, जो मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार चाहते हैं. इसके साथ ही मुल्क के दुश्मनों को इससे अपने हित साधने का मौका मिलेगा. उत्तर प्रदेश सरकार को इस फैसले को फौरन वापस लेना चाहिए और सभी समुदायों के बीच एकता और सद्भाव स्थापित करने की राह अपनानी चाहिए.

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