Karnataka Assembly Election: भाजपा का काफी कुछ तो कांग्रेस का बहुत कुछ दांव पर
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Karnataka Assembly Election: भाजपा का काफी कुछ तो कांग्रेस का बहुत कुछ दांव पर

Karnataka Assembly Election: कर्नाटक में कल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में यहां कांग्रेस और भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक के अपने दो वरिष्ठ सहयोगियों, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और राज्य प्रमुख डी के शिवकुमार के साथ मिलकर राज्य में आक्रामक चुनाव प्रचार किया.

Karnataka Assembly Election: भाजपा का काफी कुछ तो कांग्रेस का बहुत कुछ दांव पर

Karnataka Assembly Election: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है, वहीं कांग्रेस के लिए भी बहुत कुछ दांव पर है. इस दक्षिणी राज्य में जीत से कांग्रेस को जहां आगामी विधानसभा चुनावों के लिए ‘संजीवनी’ मिलेगी और केंद्रीय स्तर पर उसकी स्थिति मजबूत होगी वहीं भाजपा के लिए यहां की जीत दक्षिण में पैर पसारने की उसकी उम्मीदों को पंख देगा.  ये चुनाव भाजपा को 2024 से पहले फिर से उसे मजबूत स्थिति में ला खड़ा करेगा. 

कांग्रेस-भाजपा ने वोटर्स को साधने की कोशिश की

बहरहाल, कर्नाटक में नयी सरकार चुनने के लिए बुधवार को लोग मतदान करेंगे. करीब महीने भर चले चुनाव प्रचार के शुरुआती दिनों में विचारधारा के साथ-साथ शासन से जुड़े मुद्दे हावी रहे लेकिन अंतिम चरण में भगवान हनुमान के ‘प्रवेश’ ने मुकाबले को रोचक बना दिया. कांग्रेस ने पहले बीएस येदियुरप्पा और फिर बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के तहत कथित भ्रष्टाचार को लेकर ‘40 फीसदी कमीशन सरकार’ के मुद्दे को जोरशोर से उछालकर चुनावी बढ़त हासिल करने की कोशिश की तो भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘करिश्मे’ और ‘डबल इंजन’ सरकार के फायदे गिनाते हुए जनता को साधने की भरपूर कोशिश की. 

कांग्रेस ने कई संगठनों को बैन करने का वादा किया 

विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने ‘पांच गारंटी’ के साथ ही कई कल्याणकारी उपायों और रियायतों की घोषणा की तथा कुल आरक्षण को मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने का वादा किया है. हालांकि, इसके घोषणापत्र में बजरंग दल और पहले से ही प्रतिबंधित कट्टरपंथी इस्लामी निकाय पीएफआई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध सहित कड़ी कार्रवाई, और मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत कोटा बहाल करने जैसे वादों ने भाजपा को इन्हें अपने पक्ष में भुनाने का मौका दे दिया. इसी उम्मीद में भाजपा ने हिंदुत्व के अपने मुद्दे को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

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मोदी की रैलियों में लगे नारे

दो मई को कांग्रेस का घोषणापत्र जारी होने के बाद भाजपा ने दोनों मुद्दों को चुनाव के केंद्र में ला दिया. खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी पार्टी पर आरोप लगाया कि वह भगवान हनुमान और उनकी महिमा के नारे लगाने वालों को ‘बंद’ करने की कोशिश कर रही है. मोदी की रैलियों में ‘बजरंग बली की जय’ के नारे बुलंद होने लगे तो भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उस पर ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ के आरोप लगाए. भाजपा के वरिष्ठ नेता बी एल संतोष ने प्रचार के दौरान कहा कि यह कांग्रेस है जिसने इस मुद्दे को सामने किया. उन्होंने कहा कि ऐसे में भाजपा निश्चित रूप से इसे उठाएगी. हालांकि, कांग्रेस नेताओं का मानना है कि भाजपा के इस रुख का राज्य में ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि हिंदुत्व का मुद्दा तटीय क्षेत्र के बाहर ज्यादा प्रभावी नहीं रहा है. कांग्रेस के भीतर विचार यह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा बजरंग दल के खिलाफ कार्रवाई का उसका वादा उसे मुसलमानों के उन वर्गों को जीतने में मदद करेगा, जो जनता दल (सेक्युलर) के पक्ष में है. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व में पुराने मैसूर क्षेत्र में जद (एस) की मजबूत उपस्थिति है. इस क्षेत्र में जद (एस) की मजबूत उपस्थिति राज्य चुनावों में अक्सर त्रिशंकु जनादेश का एक प्रमुख कारण रही है. 

कांग्रेस ने झोंकी पूरी ताकत

विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस के प्रदर्शन का किसी भी संभावित विपक्षी गठबंधन में उसके कद पर बड़ा असर डालेगा क्योंकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली में उनके समकक्ष अरविंद केजरीवाल जैसे कुछ क्षेत्रीय क्षत्रप अक्सर भाजपा का मुकाबला करने में उसकी ताकत के बारे में संदेह व्यक्त करते रहे हैं. कांग्रेस ने पिछले कुछ वर्षों में कई अन्य राज्यों के चुनावों के विपरीत कर्नाटक के चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा ने कर्नाटक में बड़े पैमाने पर प्रचार किया और सोनिया गांधी ने भी एक जनसभा को संबोधित किया.

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