पैगम्बर मोहम्मद (स.) इन चीजों से मांगते थे अल्लाह की पनाह; आप भी रहें दूर
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पैगम्बर मोहम्मद (स.) इन चीजों से मांगते थे अल्लाह की पनाह; आप भी रहें दूर

Islamic Knowledge: प्रोफेट मोहम्मद (स.) कुछ कामों से अल्लाह की पनाह मांगते थे. आज हम बताते हैं कि वह कौन से काम हैं, जिनसे अल्लाह के रसूर (स.) अल्लाह की पनाह मांगते थे.

पैगम्बर मोहम्मद (स.) इन चीजों से मांगते थे अल्लाह की पनाह; आप भी रहें दूर

Islamic Knowledge: इस्लाम धर्म में बहुत सारी चीजों को बुरा माना गया है. इन चीजों से लोगों को दूरी बनाने के लिए कहा गया है. कुछ ऐसे काम हैं जिनको करने से प्रोफेट मोहम्मद ने मना किया है. जैसे चोरी करना, शराब पीना, किसी के ऊपर जुल्म करना और झूठ बोलना आदि. लेकिन कुछ काम ऐसे हैं जिनसे प्रोफेट मोहम्मद (स.) खुद अल्लाह की पनाह मांगते हैं. अल्लाह की पनाह मांगने का मतलब है कि अल्लाह इन चीजों से उन्हें बचाए और अपनी शरण में ले ले.

किन चीजों से प्रोफेट मांगे थे पनाह
हजरत अनस रजि. कहते हैं कि प्रोफेट मोहम्मद स. एक दुआ किया करते थे, जिसका मतलब है कि "ऐ अल्लाह! मैं तेरी पनाह मांगता हूं, परेशानी से, दुखों से, बेबसी से, सुस्ती से और काहिली से, कर्ज के बोझ से और बुरे लोगों के चंगुल में फंसने से." (हदीस: बुखारी मुस्लिम)

परेशानी से पनाह
इस्लाम मानता है कि खुशी और गम अल्लाह की देन हैं. अगर कोई खुश है, तो अल्लाह की देन है और अगर किसी के पास कोई परेशानी है, तो वह भी अल्लाह की देन है. ऐसे में प्रोफेट मोहम्मद अल्लाह से दुआ करते हैं कि अल्लाह ताला उन्हें परेशानी से बचाए.

दुखों से पनाह
इसी तरह का मामला दुख का भी है. दुख भी एक तरह से अल्लाह की देन है. ऐसे में प्रोफेट मोहम्मद स. कहते हैं कि वह दुखों से भी अल्लाह की पनाह मांगते हैं.

बेबसी से पनाह
बेबसी का मतलब यह है कि कोई भी शख्स ऐसी हालत में हो कि वह कुछ न कर सके. इस्लाम मानता है कि अल्लाह ताला अपने बंदों का इम्तेहान लेता है. वह कई बार अपने बंदों पर परेशानी डाल कर यह देखना चाहते हैं कि वह अपने ईमान पर कायम रहेगा या नहीं. इसलिए प्रोफेट मोहम्मद स. बेबसी से अल्लाह की पनाह मांगते हैं.

सुस्ती और काहिली से पनाह
इंसान की फितरत है सुस्ती और काहिली करना. सुस्ती और काहिली करने से कई काम बिगड़ जाते हैं. इससे कई काम वक्त पर नहीं हो पाते. सुस्ती और काहिली से नमाजें कजा हो जाती हैं. इंसान अपने हक नहीं अदा कर पाता है. इसलिए प्रोफेट मोहम्मद स. सुस्ती और काहिली से अल्लाह की पनाह मांगते हैं. 

कर्ज
इस्लाम में कर्ज बहुत को बुरी चीज माना गया है. कर्ज मांगने का मतलब है किसी के सामने अपने हाथ फैलाना. इंसान कर्ज तब लेता है, जब उसके पास कुछ नहीं होता है. इसके बाद जब वह वक्त पर कर्ज नहीं अदा कर पाता तो उसे झूठ बोलने की नौबत आती है या फिर शर्मिंदा होना पड़ता है. ऐसे में प्रोफेट मोहम्मद स. कर्ज से इसलिए अल्लाह की पनाह चाहते हैं, ताकि उन्हें किसी के सामने रुस्वा न होना पड़े.

बुरे लोगों के चंगुल में फंसना
दुनिया में बहुत तरह की होशियारियां और चालाकियां हैं. कई बार इंसान अपने आपको बचाने के लिए दूसरे शख्स को फंसा देता है. उसे बेच देता है. या फिर उससे ऐसे काम कराने के लिए मजबूर करता है जिसमें बहुत खतरे हैं. इस तरह बुरे लोगों के चंगुल में फंसने से जिंदगी बर्बाद हो जाती है. इसलिए प्रोफेट मोहम्मद बुरे लोगों से अल्लाह की पनाह मांगते हैं.

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