जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से धारा 370 खत्म होने के बाद वादी में किस तरह हालात बदल रहे हैं? नए निजाम की दस्तक से हौसलों ने किस तरह उड़ान भरी है? जी सलाम के खास प्रोग्राम "नया सवेरा" #NayaSavera के मंच से उन जिम्मेदार हस्तियों ने बातें कीं जिनके कंधों पर सियासत के मुस्तकबिल की कमान है. इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने अपनी बात रखी.
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जम्मू: ज़ी सलाम के खास प्रोग्राम "नया सवेरा" में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर (Ghulam Ahmad Mir) ने कहा कि गैर कानूनी तरीके से जम्मू कश्मीर के लोगों से पूछे बगैर यहां के लोगों की तकदीर का फैसला दिल्ली में लिया जाता है, यह पेंडिंग सवाल है. उसको एड्रेस किए बगैर हम 370 के हटाए जाने की अचीवमेंट्स या फेलियर का जिक्र कर ही नहीं सकते. क्योंकि यह हिंदुस्तान एक आईन के तहत चल रहा है. हमारा कानून सब धर्मों के ऊपर है. कानून को बाला-ए-ताक रख कर धारा 370 को हटाया गया.
उन्होंने कहा कि धारा 370 को 30 से 40 सालों से एक पार्टी का एजेंडा ज़रूर था. उनका अपना नजरिया था 370 खत्म करने का, लेकिन हमारा नजरिया अलग था. जम्मू-कश्मीर का जुगराफिया आप देख लीजिए.
गुलाम अहमद मीर (Ghulam Ahmad Mir) ने बताया कि भारत में 29 रियासतें हैं इस समय, आप मुझे भारत के इन 29 रियासतों में से किसी एक के बारे में बता दीजिए जो आउटर बॉर्डर 98 फीसद इंटरनेशनल हो और हमारे पूर्वजों को इस बात का एहसास था कि एक ऐसी रियासत भारत के साथ आ रही है जिसका बॉर्डर, पाकिस्तान, पोओके, अफगानिस्ता, चीन से मिला हुआ है. इन बॉर्डर से जम्मू-कश्मीर के अवाम ने बहुत नुकसान उठाए हैं. अगर इस रियासत को खुशहाल भारत के साथ खुशहाल रखना है तो इस रियासत की परेशानियों के एक्सट्रा ऑर्डिनरी तरीके से देखना होगा और मैं सिर्फ 370 पर नहीं अटका हूं.
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