कौन हैं दिल्ली की सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चे, HC ने सरकार से मांगा जवाब
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कौन हैं दिल्ली की सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चे, HC ने सरकार से मांगा जवाब

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल ने अजय गौतम की याचिका पर नोटिस जारी किये हैं. पीठ ने केन्द्र और दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग और दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा है.

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने बच्चों के भीख मांगने के उन्मूलन को लेकर दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार और केंद्र से शुक्रवार को जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल ने अजय गौतम की याचिका पर नोटिस जारी किये हैं. पीठ ने केन्द्र और दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग और दिल्ली पुलिस से भी जवाब मांगा है. गौतम ने इस याचिका में भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए और उन लोगों को गिरफ्तार करने का भी अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया है जो बच्चों, किशोरियों और छोटे बच्चों का उपयोग करने वाली महिलाओं को भीख मांगने और...अपराध में धकेल रहे हैंए और युवा लड़कियों का शोषण कर रहे हैं. गौतम ने इल्जाम लगाया कि शहर के हर हिस्से में भिखारियों की मौजूदगी के बावजूद अधिकारियों ने इस बुराई को खत्म करने के लिए कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाए. इस मामले में अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी. 

भीख मांगने के लिए बच्चों को बना देते हैं अपाहिज 
याचिका में कहा गया है कि हर कोई जानता है कि बच्चों के भीख मांगने की इस बुराई के पीछे भीख माफिया सक्रिय हैं. दरअसल, भीख मंगवाने के लिए मासूम बच्चों का अपहरण कर उनको प्रशिक्षण दिया जाता है. माफिया उसे भीख मांगने को मजबूर करते हैं और उनपर अत्याचार करते हैं. इसमें कहा गया कि छोटे बच्चों को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया जाता है और घायल किया जाता है ताकि लोगों की हमदर्दी हासिल की जा सके. याचिका में कहा गया, “सर्दियों के मौसम में यह आमतौर पर देखा जाता है कि लड़कियां बिना कपड़ों के गोदी में बच्चों को लिए रहती हैं ताकि ज्यादा सहानुभूति मिले.

छोटे बच्चों को खिलाते हैं नशीला पदार्थ 
यहां यह जिक्र करना भी मुनासिब होगा कि कई मामलों में ये माफिया गिरोह और लड़कियां लोगों की सहानुभूति पाने के लिए जानबूझकर छोटे बच्चों को नशीली चीजें देती हैं. वे लोग 9 से 12 महीने तक के बच्चों के जीवन को खतरे में डालते हैं. याचिका में तर्क दिया गया है कि भारत का संविधान राज्य को बच्चों के विकास के लिए सर्वोत्तम अवसर प्रदान करने के प्रयास करने और यह सुनिश्चित करने का आदेश देता है कि उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं हो. 

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