J&K Assembly Election: अलगाववादी नेता लड़ रहे चुनाव, बैन लगाने की मांग पर अड़ी ये पार्टी
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J&K Assembly Election: अलगाववादी नेता लड़ रहे चुनाव, बैन लगाने की मांग पर अड़ी ये पार्टी

Jammu Kashmir Election 2024: साल 2019 में आर्टिकल 370 रद्द होने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में विधानसभा इलेक्शन हो रहे हैं. 10 सालों में पहली बार होने वाले चुनाव तीन फेज में होने वाला है. इस इलेक्शन में अलगाववादी नेता जमकर हिस्सा ले रहे हैं.

 

J&K Assembly Election: अलगाववादी नेता लड़ रहे चुनाव, बैन लगाने की मांग पर अड़ी ये पार्टी

Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के पांच साल बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. इस इलेक्शन में  प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर के कई पूर्व सदस्यों ने 27 अगस्त को केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों के रूप में नॉमिनेशन फाइल किया है.

वहीं, जेल में बंद अलगाववादी कार्यकर्ता सरजन बरकती की बेटी सुगरा बरकती ने भी अपने पिता की तरफ से नॉमिनेशन फाइल किया है. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए लगाए गए बैन की वजह से जमात इलेक्शन में हिस्सा नहीं ले सकती है, लेकिन बैन हटने पर उसने लोकसभा इलेक्शन के दौरान चुनाव में भाग लेने में रुचि दिखाई थी.

जमात ने कब लिया है चुनाव में हिस्सा
जमात ने 1987 के बाद किसी भी इलेक्शन में हिस्सा नहीं लिया है और 1993 से 2003 तक अलगाववादी गठबंधन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का हिस्सा रही है, जिसने चुनाव बहिष्कार की वकालत की थी. जमात के पूर्व अमीर (प्रमुख) तलत मजीद ने एक निर्दलीय कैंडिडेट के रूप में पुलवामा विधानसभा से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है.

 जमात के पूर्व नेता सयार अहमद रेशी  भी लड़ेंगे चुनाव
वहीं, जमात के एक दूसरे पूर्व नेता सयार अहमद रेशी भी कुलगाम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने लोगों से अपने मन के मुताबिक मतदान करने की अपील की. ​​उन्होंने कहा, "किसी व्यक्ति को आशीर्वाद देना या अपमानित करना अल्लाह पर निर्भर करता है, लेकिन मैं लोगों से अपने मन के मुताबिक, मतदान करने की अपील करूंगा. हम सुधारों के लिए एक ऐतिहासिक आंदोलन शुरू करेंगे."

रेशी ने स्वीकार किया कि नौजवान को खेलों से परिचय कराकर हिंसा से दूर किया गया है. उन्होंने कहा कि नौजवानों को नौकरियों की जरूरी है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि नौजवानों को बल्ले दिए गए हैं, लेकिन इससे उनका पेट नहीं भरेगा. बेरोजगारी है और हत्याएं हो रही हैं. बुजुर्गों को 1,000 से 2,000 रुपये की मामूली वृद्धावस्था पेंशन के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. हम सामाजिक न्याय के लिए काम करेंगे."

बुरहान वानी की मौत सुर्खियों में आए थे सरजन बरकती
2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद मचे बवाल के दौरान सुर्खियों में आए सरजन बरकती शोपियां जिले से इलेक्शन लड़ेंगे. उनकी बेटी सुगरा बरकती ने अपने पिता की तरफ से नामांकन पत्र दाखिल किया, जो आतंकवाद के आरोप में जेल में हैं.

शिवसेना ने जमात पर बैन लगाने की मांग
शिवसेना (यूबीटी) की जम्मू-कश्मीर इकाई ने इलेक्शन कमीशन से मांग की है कि वह जमात-ए-इस्लामी जैसे प्रतिबंधित संगठनों के सदस्यों और अलगाववादी नेताओं के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाए.

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