Cabinet Expansion: मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा लगातार तेज है. बताया जा रहा है कि जुलाई में संसद के शुरू होने से पहले ही इस विषय पर फैसला लिया जा सकता है.
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नई दिल्ली: कैबिनेट विस्तार में जिन राज्यों को ज्यादा सीटें देने की बात चल रही है, उनमें बिहार भी शामिल है. बिहार में मामला इसलिए भी गर्म है कि यहां से जेडीयू को सरकार में शामिल किए जाने पर विचार चल रहा है. इसके अलावा रामविलास पासवन के निधन के बाद खाली हुई सीट को लेकर चिराग पासवान और पशुपति पारस के रस्साकशी ने इसे और भी इंटरेस्टिंग बना दिया है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि बिहार से किन-किन नेताओं को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है?
चिराग या पशुपतिनाथ में से कौन?
बीते दिनों बिहार की राजनीति में हलचल देखने को मिली. रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके भाई पशुपति पारस ने बगावत कर दी. ना सिर्फ चिराग पासवान को अध्यक्ष पद से हटाया, बल्कि लोकसभा में पार्टी के नेता के पक्ष से भी हटा दिया. उधर चिराग इस बात का दावा कर रहे हैं कि वह ही असली लोक जनशक्ति पार्टी के लीडर हैं. अब ये सवाल है कि NDA में शामिल LJP से किसे मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा.
चिराग पर नीतीश का ग्रहण- चिराग पासवान जमीन से आए हुए नेता नहीं हैं. उन्हें राजनीति अपने पिता रामविलास पासवान से विरासत में मिली. दिल्ली में पले बढ़े चिराग कभी एक्टर बनने की भी कोशिश कर चुके हैं. फिलहाल एलजेपी में अपने गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और जुमई से सांसद हैं. साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने बिहारी फर्स्ट का नारा दिया और नीतीश कुमार के खिलाफ जाते हुए, NDA से अलग हो गए. खासकर जेडीयू के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारे और नुकसान पहुंचाने में सफल भी रहे. हालांकि, एक भी सीट हाथ नहीं आई. इसके बाद से नीतीश कुमार उनसे नाराज चल रहे हैं. चिराग का दावा है कि पार्टी में तोड़फोड़ करने के लिए नीतीश कुमार ही जिम्मेदार हैं. माना जा रहा है कि भाजपा चिराग को मौका दे सकती है, लेकिन ऐसे में नीतीश कुमार काफी नाराज हो सकते हैं.
पशुपति को नीतीश का आर्शीवाद- वहीं, पशुपति पारस पर नीतीश कुमार का आर्शीवाद बताया जा रहा है. हालांकि, हाजीपुर से सांसद पशुपति को मास लीडर नहीं माना जाता है. वह चिराग की तरह आक्रामक राजनीति भी नहीं करते हैं. वह पार्टी तोड़ने में भले सफल रहे हों. लेकिन अब भी चिराग मजबूती से खड़े हैं.
एक्सपर्ट्स की राय- भाजपा को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह कहते हैं कि यहां भाजपा दुविधा की स्थिति में है. चिराग को शामिल करने से बिहार सरकार पर खतरा हो सकता है. वहीं, पशुपति भाजपा के पहले विकल्प नहीं हैं. ऐसा भी हो सकता है कि रामविलास पासवान के जाने के बाद खाली सीट किसी अन्य राज्य के दलित नेता को दे दी जाए. इसमें महाराष्ट्र और कर्नाटक दो प्रमुख दावेदार हैं.
वहीं, चुनावी रणनीतिकार और बिहार की राजनीति को समझने वाले अमिताभ तिवारी कहते हैं कि चिराग इस वक्त भाजपा के लिए फांस बन गए हैं. नीतीश अपनी तरफ से पूरा दबाव बनाएंगे. विधानसभा चुनाव में यह बात साफ हो गई थी कि चिराग किसके कहने पर आक्रमता से लड़ रहे थे. हालांकि, भाजपा उन्हें आगे स्वीकार नहीं करेगी. ऐसा हो सकता है नीतीश के दवाब में पशुपति को मंत्री बनाया जाए.
जेडीयू से कौन होगा शामिल?
दूसरी पहेली है क्या जनता दल यूनाइडेट से भी मंत्री बनेगा. इस बात की हवा तब चली, जब आरपी सिंह ने बयान दिया कि जेडीयू सरकार में शामिल हो सकती है. हालांकि, अभी तक बात कोई कन्फर्मेंशन नहीं है कि जेडीयू शामिल होगी या नहीं. अगर शामिल होती है, तो किसे मंत्री बनाया जाएगा. इसमें दो नाम सबसे आगे चल रहे हैं
आरपी सिंह- आरपी सिंह जेडीयू के राज्यसभा सांसद हैं. इस वक्त वह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जिस पर कभी शरद यादव हुआ करते थे. नीतीश कुमार जब रेल मंत्री थे, वह उनके सचिव हुआ करते थे. बिहार आने के बाद नीतीश ने आरपी सिंह को बिहार बुला लिया. 2005 से 2010 तक मुख्य सचिव रहे, फिर वीआरएस लेकर जेडीयू में शामिल हो गए. वह ना सिर्फ नीतीश के करीबी हैं, बल्कि भाजपा से भी उनके अच्छे संबंध हैं.
ललन सिंह- दूसरा नाम चर्चा में चल रहा है ललन सिंह का. मुंगेर लोकसभा से जेडीयू के सांसद हैं. ललन के नाम से फेमस राजीव रंजन सिंह लोकसभा में जेडीयू के नेता भी हैं. उन्हें भी राजनीति में लाने का काम नीतीश कुमार ने ही किया है. दोनों क्लासमेट भी रह चुके हैं. ललन जोड़-तोड़ में माहिर माने जाते हैं. एलजेपी में टूट का सूत्रधार इन्हें ही बताया जा रहा है. इसके अलावा 2017 में वापस से जेडीयू और भाजपा की दोस्ती कराने में भी ललन सिंह का हाथ बताया जाता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट- प्रदीप सिंह बताते हैं कि बिहार में जेडीयू से वही शामिल होगा, जिसे नीतीश कुमार चाहेंगे. दरअसल, 2019 में अन्य सहयोगी कि तरह एक कैबिनेट मंत्रालय देने की बात कही गई थी, लेकिन जेडीयू ने इनकार कर दिया.
भाजपा से सुशील मोदी है दावेदार
भाजपा ने साल 2020 के विधानसभा चुनाव में सुशील मोदी को बिहार की राजनीति से केंद्र में बुलाने का फैसला लिया. उन्हें राज्यसभा भेजा गया. तब से इस बात की चर्चा है कि उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है. सुशील मोदी भाजपा के दूसरे पीढ़ी के नेता हैं. संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले सुशील मोदी लंबे समय तक डिप्टी सीएम रहे हैं. बिहार भाजपा के सबसे कद्दावर नेता हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स- प्रदीप सिंह कहते हैं कि मोदी कैबिनेट में अभी अनुभवी लोगों की जरूरत है. सुशील मोदी के पास बिहार के वित्त मंत्री का लंबा अनुभव है. ऐसे में उनकी संभावना बनती दिख रही है.
अन्य राज्यों की स्थिति
उत्तर प्रदेश- उत्तर प्रदेश और बिहार के हिस्से कई सीटें जाने की संभवना जताई जा रही है. यूपी से अनुप्रिया पटेल सबसे मजबूत विकल्प मानी जा रही हैं. इसके अलावा कई अन्य बड़े चहरों को भी मौका मिल सकता है.
बंगाल और असम- पश्चिम बंगाल से भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. इसमें निशीथ प्रामाणिक, लॉकेट चटर्ची और दिलीप घोष में से कोई एक हो सकता है. इन दोनों के साथ मतुआ समाज के नेता शांतनु ठाकुर का भी नाम दौड़ में शामिल है. वहीं, असम से सर्वानंद सोनेवाल को मौका मिल सकता है.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़- मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे आगे चल रहा है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह भी कैबिनेट की दौड़ में शामिल हैं. उनके साथ सरोज पाण्डेय भी रेस में शामिल हैं.
महाराष्ट्र- महाराष्ट्र नारायण राणे के मंत्री बनने की चर्चा सबसे ज्यादा है. कभी शिवसेना, तो कभी कांग्रेस के साथ रहने वाले राणे फिलहाल भाजपा के साथ हैं. वहीं, सामाजिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए दो और भी नाम चर्चा में चल रहा है. प्रीतम मुंडे और हिना गावित.
अन्य राज्य- पंजाब में चुनाव होने वाले हैं. पंजाब से राज्यमंत्री सोमनाथ को प्रमोशन मिल सकता है. उत्तराखंड से अनिल बलूनी और अजय टम्टा के नाम की चर्चा है.इसके अलावा लद्दाख से सांसद जामयांग नामग्याल, भाजपा प्रवक्ता जफर इस्लाम, राजस्थान से राहुल कासवान और हरियाणा से सुनीता दुग्गल का नाम पर चर्चा चली रही है.
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