CM योगी के जनंसख्या वाले बयान पर मुस्लिम संगठन भी भड़के; ये है प्रजनन दर का डेटा
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CM योगी के जनंसख्या वाले बयान पर मुस्लिम संगठन भी भड़के; ये है प्रजनन दर का डेटा

Muslim Fertility Rate: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य क़ासिम रसूल इलियास ने कहा है कि जनंसख्या बढ़ोत्तरी को किसी एक मज़हब से जोड़ना किसी भी तरह से सही नहीं. 

 

Representative image. Credit: PTI File Photo

नई दिल्ली: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जरिये जनसंख्या नियंत्रण को दिए बयान को लेकर सियासी हलचल तेज़ हो गई है. सीएम योगी ने कहा था कि सिर्फ़ एक वर्ग की आबादी बढ़ने से अराजकता फैलेगी. इस बयान पर विपक्ष हमलावर नज़र आ रहा है. इस मामले में एक तरफ़ जहां विपक्षी पार्टियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला है वही मुस्लिम सगठनों से जुड़े लोगो ने भी गैरजरूरी और तथ्यों से परे बताया है.

खुद बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने भी इशारों में सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान पर सवाल खड़े किए हैं. इसको लेकर नक़वी ने ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि, बढ़ती जनसंख्या को किसी धर्म से जोड़कर देखना गलत है, ये पूरे देश के लिए ही मुसीबत है, इसे ज़ाती धर्म से जोड़ना जायज़ नहीं है.

यूपी के नेता विपक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर योगी के बयान पर तंज़ कसा. अखिलेश यादव ने कहा कि अराजकता आबादी से नहीं , लोकतांत्रिक मूल्यों की बर्बादी से उपजती है .

विपक्षी दलों ने उठाए सवाल
सपा के अलावा दूसरे विपक्षी दलों के नेता तेजस्वी यादव, असाद्दुदीन ओवैसी और यहां तक की बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू ने भी योगी के बयान की आलोचना की है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यसभा में कहा था, कि जनसंख्या नियंत्रण की ज़रूरत नहीं है. ये मुसलमानों में ख़ौफ़ पैदा करने की कोशिश है.

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मुस्लिम सगठनों ने भी योगी के बयान को बताया गलत
इसके अलावा मुस्लिम सगठनों की तरफ से भी सीएम योगी के बयान को गलत बताया गया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य क़ासिम रसूल इलियास ने कहा है कि जनंसख्या बढ़ोत्तरी को किसी एक मज़हब से जोड़ना किसी भी तरह से सही नहीं. आंकड़े इस बात के गवाह है कि आबादी सबकी बढ़ रही है और मुसलमानों में तो प्रजनन दर कम ही हुई है.

क्या कहते हैं डेटा
1992 में किए गए पहले राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में मुस्लिम जन्म दर 4.41 था जबकि हिंदू जन्म दर 3.3 यानी दोनों के बीच 1 पॉइंट का बड़ा अंतर था, वहीं 2022 में ये अंतर घटकर आधे से भी कम पॉइंट का रह गया है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ भारत जनसंख्या के मामले में 2023 में चीन को भी पीछे छोड़ देगा …ऐसे में जानकार इसके पॉजिटिव और नेगटिव दोनो तरह से इसे देखते है.

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