यूनिवर्सिटी के कुलपति और शिक्षकों का कहना है कि इस प्रयोग में अगर लोगों की रुचि बढ़ती है तो आने वाले वक्त में परिसर के जितने भी पेड़ हैं सभी पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा और बाहर भी इसके प्रयोग के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा.
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राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: उज्जैन की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी विक्रम युनिवर्सिटी (Vikram University) अक्सर प्रकृति को संवारने की कोशिशो में लगी रहती है. इस बार विश्वविद्यालय के पर्यावरण प्रबंधन व वनस्पति विज्ञान अध्ययनशाला ने पेड़ों के बारे में सारी जानकारी आम जन तक पहुँचाने और शोधार्थियों को शोध करने में आसानी के लिए अनूठी शुरुआत की है.
दरअसल पर्यावरण प्रबंधन व वनस्पति विज्ञान अध्ययनशाला ने अपने परिसर में तकरीबन 30 पेड़ों पर क्यूआर कोड लगाए और उनका डेटा एक सॉफ्टवेयर के जरिए ऑनलाइन अपलोड किया है. कोई भी शख्स अपने मोबाइल से QR कोड को स्कैन कर हर पेड़ के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है.
यूनिवर्सिटी के कुलपति और शिक्षकों का कहना है कि इस प्रयोग में अगर लोगों की रुचि बढ़ती है तो आने वाले वक्त में परिसर के जितने भी पेड़ हैं सभी पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा और बाहर भी इसके प्रयोग के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा.
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अतिथि शिक्षक डॉ मुकेश वाणी ने बताया कि "मैं डॉ0 डीएम कुमावत के निर्देशन में यहां काम कर रहा हूं. विक्रम युनिवर्सिटी का पर्यावरण प्रबंधन व वनस्पति विज्ञान अध्ययनशाला पूरे प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ अध्ययन शाला मानी जाती है. इसके लिए 2012 में विभाग को सर्वश्रेष्ठ जैव विविधता के लिए पुरुस्कार प्राप्त हो चुका है. यहां कई सारी ऐसी प्रजातियां हैं जो अपने आप में अलग पहचान रखती हैं. चूंकि एग्रीकल्चर विषय इस वर्ष से शुरू हुआ है तो शोधकर्ताओं के लिए इस पर रिसर्च करने में सुविधा होगी. परिसर में 400 पेड़ हैं. उनके बारे में भी जानकारी दी जाएगी. आने वाले वक्त में इसे जीपीएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा.''
यूनिवर्सिटी में अमलतास, शतावरी, नीम, पारिजात, हरसिंगार, सुदर्शन, खिरनी, रीठा, रत्ती, महुआ, शिरीष, कदब और कई तरह के पेड़ मौजूद हैं.
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