Rajiv Gandhi Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने मुजरिमों को किया रिहा, कहा, ... तो इन्हें रिहा कर दीजिए
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Rajiv Gandhi Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने मुजरिमों को किया रिहा, कहा, ... तो इन्हें रिहा कर दीजिए

Supreme Court on Rajiv Gandhi Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कत्ल कांड के सभी 6 मुजरिमों को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया है. अदालत ने कहा है कि अगर इन पर कोई और मुकदमा नहीं है तो रिहा कर दीजिए.

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Rajiv Gandhi Murder Case: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कत्ल कांड में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी 6 मुजरिमों को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया है. अदालत ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सज़ा काट रही नलिनी श्रीहरन और आर. पी. रविचंद्रन को वक्त से पहले रिहा करने का आदेश जारी किया है. दोनों ने वक्त से पहले रिहाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.

जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस बी. वी. नागरत्ना की बेंच ने कहा कि मामले के मुजरिमों में से एक आरोपी ए. जी. पेरारिवलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का पहले दिया गया फैसला इन दोनों के मामले में भी लागू होता है. दरअसल 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को इस मामले में एक और दोषी पेरारिवलन को रिहाई के आदेश दिया था. जिसका हवाला देते हुए मुजरिमों ने भी उसी अदालत से रिहाई की मांग की थी.

क्या था राजीव गांधी कत्ल कांड
21 मई 1991 पूरा देश एक बार फिर हैरान रह हो गया था. क्योंकि कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता और सबसे नौजवान प्रधानमंत्री राजीव गांधी का कत्ल हो गया था. चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर में उनको कत्ल कर दिया गया था. इसके लिए धानु नाम की एक महिला आत्मघाती हमलावर का इस्तेमाल किया गया था. राजीव गांधी ने अपनी मां और देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कत्ल के बाद भारत की कमान संभाली थी. वो देश के सबसे नौजवान प्रधानमंत्री थे. महज 40 साल की उम्र में उन्होंने पीएम पद संभाला था. 

41 लोग थे आरोपी, 26 को हुई थी फांसी की सज़ा
राजीव गांधी कत्ल मामले में 41 लोगों को मुल्ज़िम बनाया गया था. एक जानकारी के मुताबिक इनमें 12 लोगों की मौत हो चुकी थी, इसके अलावा 3 लोग फरार हो गए थे. जिसके बाद बचे 26 लोगों को पकड़ा गया और टाडा कानून के तहत लड़ाई चली थी. टाडा कानून के तहत चली 7 वर्षों की कानूनी जंग के बाद 28 जनवरी 1998 को 26 मुल्जिमों को सज़ाए-ए-मौत सुनाई थी. टाडा कोर्ट की जानिब से दिए गए इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. 

सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को कर दिया था बरी
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने तकरीबन एक साल बाद टाडा कोर्ट का फैसला ही पलट दिया. जिससे सभी लोग हैरान रह गए. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 लोगों को रिहा कर दिया था और 7 मुजरिमों की फांसी की सज़ा बाकी रखी. हालांकि साल 2014 में इस सज़ा को भी कम करके उम्र कैद में तब्दील कर दिया था. 

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