Ramadan 2023: क्या है इफ्तार, किसी को इफ्तार कराने पर कितना है सवाब?
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Ramadan 2023: क्या है इफ्तार, किसी को इफ्तार कराने पर कितना है सवाब?

Ramazan 2023: पूरा दिन रोजा रखने के बाद अपने परिवार के साथ इफ्तार करना. किसी को इफ्तार कराना सवाब का काम है. जरूरी है कि इफ्तार हलाल चीजों से किया जाए.

 

Ramadan 2023: क्या है इफ्तार, किसी को इफ्तार कराने पर कितना है सवाब?

Ramazan 2023: पूरा दिन रोजा रख कर सूरज डूबने के बाद जो चीजें खाई जाती हैं उसे रोजा खोलना या इफ्तार करना कहते हैं. सूरज डूबने के फौरन बाद इफ्तार किया जाता है. अगर अंधेरे का इंतजार किया जाए या फिर नमाज के बाज इफ्तार किया जाए तो इससे रोजा खराब हो जाता है. कहा जाता है कि जब रोजा खोलने का वक्त हो जाए तो इसमें जल्दी करना चाहिए.

इन चीजों से खोलें रोजा

हैदराबाद की मस्जिद कूए बेग हुसैनी के खतीब मौलाना मुजम्मिल सिद्दीकी बताते हैं कि खजूर या छुहारे से इफ्तार करना सुन्नत करना है क्योंकि प्रोफेट मोहम्मद स0 खजूर से रोजा इफ्तार करते थे. इसके अलावा मीठी चीज सेहत के अच्छी मानी जाती है. अगर खजूर नहीं हो तो पानी से रोजा इफ्तार करना चाहिए. इससे जिस्म में तरावट आती है. हदीस में जिक्र है कि जिसने पानी से इफ्तार किया उसे 10-10 नेकियां मिलेंगी. क्यूंकि पानी ऐसी चीज है जो गरीब आदमी को भी नसीब होती है. रोजा खोलने के बारे में कहा जाता है कि हलाल चीजों से रोजा खोला जाए. अगर रोजा इफ्तार करने के लिए कहीं जा रहे हैं तो पहले यह जान लें कि वह हलाल कमाई का है.

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परिवार के साथ खोलें रोजा

अल्लाह के रसूल फरमाते हैं कि रोजा हमेशा अपने परिवार यानी बीवी, बच्चे, भाई, बहन के साथ खोलना चाहिए. परिवार के साथ इफ्तार करने वालों को अल्लाह ताला हर लुकमे के बदले एक गुलाम आजाद करने का सवाब देता है. रोजा इफ्तार करते वक्त अगर कोई मुसाफिर या रिश्तेदार घर में आ जाए तो उसे भी इफ्तार के लिए बुलाया जाय.

इफ्तार कराने का सावब

मौलाना के मुताबिक किसी को रोजा इफ्तार कराना सवाब का काम है. हदीस में आता है कि अगर कोई शख्स किसी रोजेदार को इफ्तार कराएगा उसके सारे गुनाह भख्श दिए जाएंगे. अगर कोई शख्स किसी के साथ इफ्तार में शामिल होता है तो उसे भी इतना ही सवाब मिलता है. एक हदीस में आता है कि "जिस शख्स ने किसी रोजेदार को भरपेट खाना खिलाया अल्लाह पाक कयामत के दिन ऐसा शरबत पिलाएगा कि उसे कभी प्यास नहीं लगेगी."

इफ्तार कराने पर हदीस

एक सहाबी ने प्रोफेट मोहम्मद स0 से पूछा कि "या रसूलल्लाह! अगर किसी शख्स के पास इतना माल या खाना न हो जिससे वह किसी को अच्छे से रोजा न इफ्तार करवा सके उस सूरत में क्या वह भी उतने ही सवाब का हकदार होगा? आपने स0 ने फरमाया यह सवाब तो उसे भी मिलेगा जिसने एक घूंट पानी या दूध से किसी को रोजा इफ्तार करवाया हो."

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