नेपाल में आए 6.4 तीव्रता के भूकंप के बाद एक महीने में तीसरी बार दिल्ली-एनसीआर के लोगों को लगे भूकंप के झटके, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में इतनी बार भूकंप के झटके आखिर क्यों आते हैं; आज इस का जवाब तलाश करेंगे इस रिपोर्ट में.
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शुक्रवार की रात कुछ लोग अपने अपने बिस्तर पर चैन की नींद ले रहे थे तो कुछ लोग अपने दफ्तर से घर को लौट रहे थे लेकिन तभी ज्यादातर लोगों ने कुछ तेज झटके महसूस किए. ये झटका करीब 40 सेकेंड तक महसूस किये गए. लेकिन इससे पहले लोग कुछ समझ पाते, एक शोर भारत से नेपाल तक फैल गया 'भूंकप आया, भूकंप आया'.
जी हां एक बार फिर दिल्ली एनसीआर में भूंकप के तेज़ झटके महसूस किए गए और ये झटका कितना तेज था, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की रिएक्टर स्केल पर भूंकप की तीव्रता 6.4 नापी गई . इस भूंकप का केंद्र नेपाल के जाजरकोट में जमीन के नीचे 10 किलोमीटर की गहराई में था. इस 40 सेकेंड के भूकंप ने लोगों के मन में एक सवाल ज़रूर उठा दिया. आखिर दिल्ली- एनसीआर में बार बार ये झटके क्यों ?
क्या है दिल्ली में भूंकप का कारण ?
दिल्ली समेत नॉर्थ भारत को भूकंप के लिए सबसे प्रोन एरिया माना जाता है यानी भूकंप के झटके इस इलाके में सबसे ज्यादा महसूस किए जाते हैं. अगर ज्योग्राफी कंडीशन के हिसाब से देखें तो इस एरिया में भूकंप ज्यादा आता है. दरअसल, भारत के नॉर्थ में भारत का ताज कहे जाने वाला हिमालय, कुछ नेपाली प्लेट्स से बना हुआ है, और ये दो बहुत बड़े टेक्टोनिक प्लेटों की सीमा पर है. दिल्ली की हिमालय से नजदीकी भी बार बार महसूस होने वाले झटके का एक कारण है. इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लाइन और दिल्ली-मुरादाबाद फॉल्ट लाइन पर मौजूद है. धरती के अंदर यहां लगातार हलचल होती रहती है. जिस वजह से इसके आस पास के एरिया में भूकंप का डर ज्यादा रहता है और आए दिन यहां भूकपं के झटके महसूस होते हैं.
क्या आप जानते हैं क्यों आता है भूकंप?
साधारण शब्दों में भूकंप का अर्थ पृथ्वी की कंपन से होता है. यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से एनर्जी के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं. इसके अलावा धरती के अंदर कई तरह के प्लेट्स मौजूद हैं. पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स होते हैं जो धरती के नीचे लगातार घूमती रहती है. जब ये आपस में टकराते हैं या इसमें हलचल होती है तो भूकंप आता है. इस बात को वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्वी की बनावट को समझना होगा. हमारी पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर खड़ी है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और जिस पर ये टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं. कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है. जब इससे डिस्टर्बेंस बनता है तो इसके बाद भूकंप आता है. इन्हीं प्लेट्स के आधार पर भारत के राज्यों को भूंकप की संभावना के आधार पर अलग अलग जोन में बांटा गया है. इन जोन में जोन 5 सबसे ज्यादा एक्टिव है और जोन 2 सबसे कम. यानी जोन फाइव में वो इलाके आते हैं, जहां ज्यादा भूकंप आते हैं. दिल्ली-एनसीआर को उसकी ज्योग्राफिक कंडीशन के हिसाब से जोन 5 रखा गया है.