UN चीफ ने इस्लामोफोबिया के लिए सोशल मीडिया को क्यों ठहराया जिम्मेदार; जानें पूरा मामला
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UN चीफ ने इस्लामोफोबिया के लिए सोशल मीडिया को क्यों ठहराया जिम्मेदार; जानें पूरा मामला

UN Chief on Islamophobia: साल 2022 में 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉन्फ्रेंस (OIC) की तरफ से हर साल 15 मार्च को 'इंटरनेशनल डे टू कॉम्बैट इस्लामोफोबिया से लड़ने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया था.

UN चीफ ने इस्लामोफोबिया के लिए सोशल मीडिया को क्यों ठहराया जिम्मेदार; जानें पूरा मामला

UN Chief on Islamophobia: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस्लामोफोबिया और कट्टरता के दूसरे रूपों के प्रचार के लिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार ठहराया है. समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने गुटेरेस के हवाले से कहा, "दुनिया भर में, हम मुस्लिम विरोधी नफरत और कट्टरता की बढ़ती लहर देख रहे हैं."

सोशल मीडिया का हो रहा है दुरुपयोग
शुक्रवार को इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में यूएन चीफ ने कहा कि नफरत फैलाने वाले अपनी घृणित विचारधाराओं को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म नफरती विचारधाराओं की उत्पत्ति स्थल बन गए हैं.गुटेरेस कहा कि इससे न सिर्फ सामाज विभाजित होता है, बल्कि हिंसा को भी बढ़ावा मिलता है.

भड़काऊ भाषणों की जानी चाहिए निंदा 
उन्होंने आगे कहा, "नफरत और कट्टरता को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. आज के वक्त में मुस्लिम विरोधी कट्टरता को खत्म करना हम सभी की जिम्मेदारी है. सरकारों को भड़काऊ भाषणों की निंदा करनी चाहिए और विशेष रूप से अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों को घृणित सामग्री के प्रचार को नियंत्रित और रोकना चाहिए. सभी लोगों को असहिष्णुता और विभाजन की दीवारों को ढहाने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए."

आज के ही दिन मनाया जाता है 'इंटरनेशनल डे टू कॉम्बैट इस्लामोफोबिया' 
साल 2022 में 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉन्फ्रेंस (OIC) की तरफ से हर साल 15 मार्च को 'इंटरनेशनल डे टू कॉम्बैट इस्लामोफोबिया' यानी 'इस्लाम के प्रति डर से लड़ने का अंतरराष्ट्रीय दिवस' के रूप में मनाने का एक प्रस्ताव पेश किया था. OIC के 57 सदस्य मुल्कों के अलावा रूस, चीन समेत दूसरे 8 देशों के समर्थन से यह प्रस्ताव पारित हुआ था. 

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