आखिर आज़ाद भारत में क्या हुआ था 26 जनवरी 1950 को; क्यों मनाते हैं गणतंत्र दिवस?
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आखिर आज़ाद भारत में क्या हुआ था 26 जनवरी 1950 को; क्यों मनाते हैं गणतंत्र दिवस?

Republic Day 2024: इस खबर में हम आपको बता रहें कि भारत में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है. इसके साथ ही संविधान में कैसे बदलाव किया जाता है.

आखिर आज़ाद भारत में क्या हुआ था 26 जनवरी 1950 को; क्यों मनाते हैं गणतंत्र दिवस?

Republic Day 2024: जनवरी का महीना चल रहा है. इसी महीने में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा. इस साल देश अपना 75वीं गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाएगा. 26 जनवरी को इसलिए गणतंत्र दिवस सेलेब्रेट किया जाता है, क्योंकि 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया था. देश का संविधान वह चीज है, जिसके हिसाब से भारत शासन चलता है. इसी दिन भारत पूर्ण गणराज्य घोषित हुआ था. इसीलिए हर साल गणतंत्र दिवस मनाया जाता है.

कब लागू हुआ संविधान
आपको बता दें कि भारत 1947 में अजाद हो गया था. लेकिन इसे अपने नियम व कानून के हिसाब से चलाने के लिए अपना संविधान लागू किया गया. देश का संविधान 2 साल 11 महीने और 18 दिन में तैयार हुआ. भारत में 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपना लिया. इसके बाद 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया. 

इतनी बार हुए बदलाव
भारत के संविधान में अलग-अलग वक्त में बदलाव होते रहते हैं. इसमें बदलाव संसद की तरफ से किया जाता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में संविधान में बदलाव करने के बारे में है. अगर देश में नया नियम लागू होने वाला है. इसके लिए पहले संसद में बहुमत देखा जाता है, इसके बाद इसमें बदलाव होता है. साल 1950 में संविधान लागू होने के बाद इसमें 104 संशोधन किए जा चुके हैं.

बदलाव के लिए चाहिए यह मंजूरी
संविधान में संशोधन के लिए संसद में एक प्रस्ताव पेश किया जाता है. इसके बाद इसे संसद के दोनों सदनों से मंजूरी ली जाती है. इस बिल को संसद में मौजूद एक तिहाई सांसदों की मंजूरी मिलनी जरूरी होती है. इसके साथ ही सभी सदस्यों (उपस्थित या अनुपस्थित) साधारण बहुमत प्राप्त होना चाहिए. संविधान संशोधनों को कम से कम आधे राज्यों की विधायिकाओं की तरफ से अनुमोदित किया जाना चाहिए. इन सभी की मंजूरी के बाद भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी चाहिए होती है. हालांकि आखिरी मंजूरी महज औपचारिक्ता है.

सबसे ज्यादा बार हुआ संशोधन
संविधान संशोधन की प्रक्रिया इतनी जटिल होने के बावजूद यह ऐसा प्रशासनिक दस्तावेज है, जिसमें अब तक सबसे ज्यादा संशोधन किया गया है. इसमें औसतन हर साल दो संशोधन किए गए हैं. भारत के संविधान में पहला संशोधन 1967 में हुआ था. संविधान में हर संशोधन का अलग नाम होता है. संविधान के पहले संशोधन को "संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम" कहा जाता है. इसी तरह से इसमें जितने भी संशोधन होते हैं उन्हें उसके नाम से जाना जाता है.

सबसे लंबा संविधान
गौरतलब है कि संविधान में 395 अनुच्छेद हैं, और 145000 शब्द हैं. संविधान ऐसा दस्तावेज है, जो सरकार की ताकत को बेहतर तरीके से वर्णित करता है. भारत का संविधान बाकी देशों की तुलना में सबसे लंबा संविधान है.

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