ईरान के परमाणु हथियार के प्रोग्रामों को इजराइल अपने वजूद के लिए हमेशा से खतरा मानता रहा है. इसलिए वह तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ईरान के खिलाफ जमकर पैरवी करता है और उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई की धमकी देता रहता है.वहीँ, ईरान इज़राइल के खिलाफ हिज़्बुल्लाह और हमास का समर्थन करता है.
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तेहरानः ईरान हुकूमत ने इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के लिए काम करने के इल्जाम में चार लोगों को इतवार को फांसी दे दी है. सरकारी समाचार एजेंसी ‘इरना’ के मुताबिक, देश के रेवलूशनेरी गार्ड ने इज़राइली एजेंसी से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी की जानकारी दी थी. ये लोग निजी और सरकारी संपत्ति की चोरी करते थे और इनपर लोगों को अगवा करने का भी आरोप था. एजेंसी की खबर के मुताबिक, इन कथित जासूसों के पास से हथियार ‘क्रिप्टोकरेंसी’ बरामद किए गए थे, जो उन्हें मोसाद से मिलते थे. इरना ने बताया कि जिन लोगों को फांसी दी गई है उनमें हुसैन ओरदोखानज़ादा, शाहीन इमानी मोहमुदाबादी, मिलाद अशरफी और मनौचेहर शाहबंदी शामिल हैं. इसके अलावा तीन ऐसे लोग भी हैं जिन्हें कैद की सजा सुनाई गई है, हालांकि उनकी पहचान उजागर नहीं की गई है.
ईरान इजराइल को नहीं मानता है देश
गौरतलब है कि इज़राइल और ईरान आपस में कट्टर-दुश्मन देश हैं. ईरान कभी-कभी वैसे लोगों को हिरासत में ले लेता है, जिनपर उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल सहित विदेशों के लिए जासूसी करने का शक होता है. ईरान इजरायल को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं देता है और पूरे क्षेत्र में इजरायल विरोधी सशस्त्र समूहों जैसे हिज़्बुल्लाह और हमास का समर्थन करता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान और इस्राइल लंबे अरसे से एक-दूसरे पर जासूसी का इल्जाम लगाते रहे हैं. इज़राइल ईरान को अपना सबसे बड़ा खतरा मानता है और ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए बार-बार सैन्य कार्रवाई करने की धमकी देता रहता है. ईरान इस बात से इनकार करता है कि वह इस तरह के हथियारों की मांग कर रहा है, और उसने किसी भी इजरायली आक्रमण का कठोर जवाब देने की भी कसम खा रखी है.
दोनों एक दूसरे पर लगाते हैं जासूसी का इल्जाम
जनवरी में, इज़राइल ने कहा था कि उसने एक ईरानी जासूसी गिरोह का पर्दाफाश कर उसके नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है, जो सोशल मीडिया के जरिए इज़राइल महिलाओं से खुफिया जानकारी इकट्ठा करता है. वहीं, जुलाई में, ईरान ने दावा किया था कि उसने मोसाद से जुड़े एक सशस्त्र समूह के सदस्यों को अपनी पश्चिमी सीमा से ईरान में घुसने के बाद गिरफ्तार किया है. इससे पहले 2020 में, ईरान ने अपने एक प्रमुख रिवोल्यूशनरी गार्ड जनरल को मौत की सजा सुनाई थी, क्योंकि उसे इस बात का शक था कि वह जनरल अमेरिका और इज़राइल को देश की गोपनीय जानकारी लीक कर रहा है.
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