अमरोहा जिले के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड भी है. यहां की जनता हर 5 साल बाद अपना सांसद बदल देती है. वर्ष 1952 से लेकर 2019 तक कोई सांसद ऐसा नहीं रहा, जो इस सीट से लगातार दो बार जीत हासिल कर सका हो. यहां के वोटर अपने सांसद से बहुत जल्दी बोर हो जाते हैं और हर 5 साल बाद नए प्रत्याशी को सांसद बना देते हैं. देखना होगा कि क्या यह अनोखा रिकॉर्ड इस बार टूट पाएगा और अमरोहा की प्राचीन परंपरा बनी रहेगी. आबादी की बात की जाए तो अमरोहा लोकसभा में करीब 16 लाख वोटर हैं, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 29 हजार और एससी वोटर सबसे ज्यादा हैं. जातिगत रूप से देखें तो जाट, गुर्जर, दलितों की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके अलावा करीब 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता भी हैं. इस लोकसभा सीट की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां की जनता हर 5 साल में अपना सांसद बदल देती है. इस परंपरा को आज तक कोई दल नहीं तोड़ पाया है.इस लोकसभा सीट में कुल 5 असेंबली सीटें लगती हैं, जिनके नाम अमरोहा, हसनपुर, धनौरा, नौगावां सादात और गढ़मुक्तेश्वर हैं. इनमें से 2 पर सपा और 3 पर भाजपा का कब्जा है. यहां पर बसपा का जाटव और मुस्लिम समीकरण, जबकि सपा का यादव और मुस्लिम समीकरण अक्सर हावी रहा है.
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