Odd Even For Bike: पहले बाइक पर भी रोक लगी फिर हटी , जानिए कितना पॉल्यूशन फैलाते हैं टू व्हीलर
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Odd Even For Bike: पहले बाइक पर भी रोक लगी फिर हटी , जानिए कितना पॉल्यूशन फैलाते हैं टू व्हीलर

Pollution From Two Wheelers: दिल्ली में एयर पॉल्यूशन बढ़ गया है. इसे कंट्रोल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. एयर पॉल्यूशन कम करने को लेकर व्हीकल्स के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला काफी चर्चित रहा है.

कितना पॉल्यूशन फैलाते हैं टू व्हीलर?

Bike-Scooter Pollution: दिल्ली में एयर पॉल्यूशन बढ़ गया है. इसे कंट्रोल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. एयर पॉल्यूशन कम करने को लेकर व्हीकल्स के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला काफी चर्चित रहा है. अब दिल्ली सरकार ने 13 से 20 नवंबर तक के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू करने का ऐलान किया है. हालांकि, इसमें टू व्हीलर को छूट दी जाएगी. कई साल पहले टू व्हीलर पर भी इसे लागू किया गया था लेकिन बाद में इन्हें छूट दे दी गई थी. लेकिन, क्या टू व्हीलर कम एयर पॉल्यूशन करते हैं, जो इन्हें छूट देने या ना देने से एयर पॉल्यूशन पर कोई असर नहीं होगा? चलिए बताते हैं.

टू व्हीलर से होने वाला पॉल्यूशन?

टू व्हीलर्स को ऑड-ईवन का हिस्सा इसीलिए नहीं बनाया था क्योंकि टू व्हीलर इस्तेमाल करने वालों की आबादी बहुत ज्यादा है, सभी को किसी अन्य ट्रांसपोर्ट में एडजस्ट करना मुश्किल है. जहां तक एयर पॉल्यूशन की बात है तो टू व्हीलर भी लगभग कारों के जितना एमिशन ही करती हैं. इनके लिए BS-VI के अनुसार, CO (g/km)- 0.5, HC+NOx (g/km)- 0.06, PM (g/km)- 0.005 की लिमिट तय है. इंडिया टूडे कि 2018 की एक रिपोर्ट में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा था कि टू व्हीलर लगभग 32 प्रतिशत वायु प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं.

एमिशन में क्या होता है?

ICE व्हीकल्स के एमिशन में कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन जैसी हानिकारक गैसों से साथ ही पार्टिकुलेट मैटर भी होते हैं. यह सभी मिलकर हवा को प्रदूषित करते हैं. कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) जहरीली गैस होती है. यह रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और हवा से थोड़ी कम घनी होती है. यह ऑक्सीजन-सांस लेने वाले जीवों के लिए घातक होती है.

वहीं, नाइट्रोजन ऑक्साइड ग्रीनहाउस गैसें है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती है. यह आंखों और रेस्पिरेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचाती है. इसके अलावा, एमिशन में मौजूद हाइड्रोकार्बन भी आंखों और रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए खतरा होती है. पीएम यानी पार्टिकुलेट मैटर छोटे और ठोस या तरल कण होते हैं, जो हवा में तैरते हैं. इनसे सांस लेने में समस्या, दिल की बीमारी और कैंसर तक हो सकता है.

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