Mythology Story Of Mata Sita: माता सीता खुद शक्ति स्वरूपा थी कि वो खुद रावण को भस्म कर देती, लेकिन उन्होंने राजा दशरथ को कौन-सा वचन दिया, जिसमें वे मजबूर हो गई थी.
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Janaki Jyanti 2023: इस साल 2023 में सीता जयंती (Sita Jayanti 2023) 29 अप्रैल दिन शनिवार को मनाई जाएगी. माता सीता इस दिन धरती से प्रकट हुई थीं. राजा जनक की पुत्री होने के कारण माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है, इसलिए उनके जन्म दिवस को जानकी जयंती (Janaki Jayanti) भी कहा जाता है. मान्यता है कि सीता नवमी के दिन अगर माता सीता (Mata Sita) की विधि विधान से पूजा की जाए तो व्यक्ति के जीवन के तमाम दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं. वही अगर माता सीता की पूजा-व्रत यदि महिलाएं करती हैं तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही उनके पति दीर्घायु होते हैं. रामायण में सीता माता का चिरण धैर्यवान, तेजस्वी, पतिव्रता स्त्री के रूप में किया जाता है. चलिए इसी कड़ी में बताते हैं कि माता सीता खुद शक्ति स्वरूपा थी कि वो खुद रावण को भस्म कर देती, लेकिन उन्होंने राजा दशरथ को कौन-सा वचन दिया, जिसमें वे मजबूर हो गई थी.
माता सीता थी शक्ति स्वरूपा
रामायण में वर्णन किया गया है कि रावण ने छल से माता सीता का हरण कर लिया था, जिसके बाद प्रभु श्रीराम ने रावण का वध करके माता सीता को वहां से मुक्त कराया था, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि वास्तव में माता सीता स्वयं शक्ति स्वरूपा थीं. यदि माता सीता चाहतीं तो स्वयं ही रावण को भस्म कर सकती थीं. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, आज हम आपको बताएंगे माता सीता की शक्ति का वो किस्सा, जिसने राजा दशरथ को भी हैरान कर दिया था और वे समझ गए थे कि माता सीता स्वयं जगत जननी का स्वरूप हैं.
तिनके को घूरकर ही बना दिया था भस्म
पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि जब माता सीता का विवाह प्रभु श्रीराम से हुआ तो ससुराल आने के बाद उन्होंने सबसे पहले ऋषि-मुनियों और परिवारीजनों के लिए खीर पकाई. जब वे उन्हें खीर परोस रही थीं, उसी समय तेज हवा का झोंका आया. सभी ने अपनी अपनी पत्तल संभाली. लेकिन उस दौरान राजा दशरथ की खीर में एक छोटा सा घास का तिनका आकर गिर गया. माता सीता ने उस तिनके को देख लिया, लेकिन खीर से वो तिनका सबके बीच कैसे निकालें, उनके लिए ये बड़ी दुविधा थी. तभी उन्होंने तिनके को दूर से घूरा. माता सीता की दृष्टि से ही वो तिनका राख बन गया. सीता जी को लगा कि उनका ये चमत्कार किसी ने नहीं देखा, लेकिन राजा दशरथ ने ये सब देख लिया था और वो समझ गए थे कि माता सीता कोई साधारण स्त्री नहीं, बल्कि जगत जननी हैं.
राजा दशरथ ने लिया मां सीता से वचन
खीर खाने के बाद राजा दशरथ जब अपने कक्ष में चले गए तो उन्होंने सीता जी को अपने कक्ष में बुलवाया. वहां उन्होंने माता सीता से कहा कि आपका चमत्कार मैं देख चुका हूं और समझ गया हूं कि आप कौन हैं. इसलिए आज आप मुझे वचन दीजिए कि जिस दृष्टि से आपने उस तिनके को देखा, उससे कभी किसी और को नहीं देखेंगी. इसके बाद माता सीता ने दशरथ को ये वचन दिया. यही कारण था कि जब रावण ने माता सीता का हरण किया था, तो वो खुद रावण को खत्म कर देती लेकिन वो राजा दशरथ के वचन में बंधी हुई थी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)