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मुसलमानों की सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी का मानना है कि हिन्दुस्तान में मुस्लिम समुदाय को अब मजहबी आजादी की हिफाजत की जरूरत महसूस होने लगी है। नदवी कहते हैं, 'आजादी के बाद देश जिन हालातों से गुजरा है और आज जिस जगह उसे देख रहे हैं, हमें लगता है कि देश को एक खास विचारधारा की तरफ ले जाया जा रहा है।' जी हां! हम बात कर रहे हैं उस 'सूर्य नमस्कार' की जिसे राजस्थान सरकार प्रदेश के स्कूलों में अनिवार्य करने की योजना बना रही है और जिसको लेकर भारतीय मुस्लिम समुदाय ने आपत्ति जताई है। यहां बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर सूर्य नमस्कार पर ऐतराज क्यों?
पृथ्वी पर रहने वाला हर मनुष्य जीवन में खुश रहना चाहता है। धर्म, जाति, संप्रदाय और उद्देश्य को लेकर मनुष्य-मनुष्य के बीच भेद होने के बावजूद सब के सब एक ही लक्ष्य को पाने में जुटे हैं और वह लक्ष्य है जीवन में प्रसन्नता और सुख को पाना। अगर सूर्य नमस्कार से आपकी सेहत अच्छी होती हो, आप जीवन में प्रसन्न रहते हों, आपकी सोच जीवन को बहुआयामी दिशाएं प्रदान करे तो ऐसे सूर्य नमस्कार से किसी को क्यों परहेज होगा। लेकिन मुसलमानों की सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को सूर्य नमस्कार से परहेज है। बोर्ड ने अपने 24वें अधिवेशन में मुसलमान बच्चों से सूर्य नमस्कार न करने को कहा है। बोर्ड पदाधिकारियों ने साफ कहा है कि अगर सरकार सूर्य नमस्कार करने को कहे तब भी ऐसा नहीं करना है।
जहां तक मैं जानता हूं, शायद ही किसी धर्मग्रंथ या कानून में इस बात का उल्लेख किया गया हो कि सूर्य नमस्कार करना धर्म की सेहत के लिए ठीक नहीं है। हो भी कैसे सकता है। उस सूर्य को नमस्कार करने में किसी को दिक्कत कैसे हो सकती है जो जीवदायिनी हो। अगर आप धर्म के तराजू पर तौलने की कोशिश करते हैं तो कोई यह बता दे कि सूर्य ने किसी को ज्यादा लाभ दे दिया हो और किसी को नुकसान पहुंचा दिया हो। लाखों किलोमीटर की दूरी से चलकर आने वाली सूर्य की रोशनी सबको एक समान मिलती है। उसके पास धर्म और संप्रदाय जैसा कोई चश्मे नहीं है जिससे वह इस तरह का कोई भेदभाव कर सके।
सूर्य नमस्कार दरअसल एक संपूर्ण व्यायाम है। इसे करने से शरीर के सभी हिस्सों की एक्सरसाइज हो जाती है। साथ ही शरीर में एक तरह का लचीलापन भी आता है। सूर्य नमस्कार सुबह के समय खुले मैदान में उगते सूरज की ओर मुंह करके करना होता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है, विटामिन-डी मिलता है, मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है। वजन और मोटापा घटाने में भी सूर्य नमस्कार काफी लाभकारी है। इसके कुल 12 आसन होते हैं जिनका शरीर पर अलग-अलग तरह से प्रभाव पड़ता है।
सूर्य के प्रकाश एवं सूर्य की उपासना से कुष्ठ, नेत्र आदि के रोग दूर होते हैं। हर दिन प्रात:काल अगर आप कोई और व्यायाम नहीं कर पाते हों और कम से कम पांच बार सूर्य नमस्कार कर लेते हों तो यह बताने की जरूरत नहीं कि आपके जीवन में किस तरह का बदलाव आएगा। क्योंकि सूर्य नमस्कार एक तरह का षाष्टांग नमस्कार है। इस करने से मानव निरोग, वैभवशाली, सामर्थ्यवान, कार्यक्षमतावान, पुर्णायु होता है और व्यक्तित्व प्रतिभाशाली होता है।
अब देखिए, हर साल 21 जून को विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिनों से भी कम के रिकार्ड समय में पास कर दिया। 193 में से 177 सदस्य देशों ने विश्व योग दिवस मनाए जाने को लेकर अपनी सहमति दी। योग को हर धर्म के लोगों ने अपनाया। संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, इराक, सीरिया, अफगानिस्तान, बांग्लादेश ने भी भारत के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। यहां मुस्लिम राष्ट्र यह कह सकते थे कि चूंकि नरेंद्र मोदी ने इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में रखा है इसलिए हम इसका समर्थन नहीं करेंगे। लेकिन मुस्लिम राष्ट्रों ने इस प्रस्ताव को भरपूर समर्थन दिया। इसलिए अगर आप योग को मान सकते हैं तो सूर्य नमस्कार को क्यों नहीं। दोनों में मानवता की भलाई छिपी है।
बहरहाल, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सूर्य नमस्कार के मुद्दे पर गंभीरता से सोच विचार करे। मैं मानता हूं कि मुसलमान भाइयों को इस बात से ऐतराज होगा कि जिस देश में हिन्दू लोग पूरी निष्ठा के साथ सूर्य की उपासना (छठ व्रत) करते हों उस सूर्य को नमस्कार कैसे करें। लेकिन यह भी सच है कि बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में ऐसे दर्जनों मुसलमान भाई मिल जाएंगे जो इस छठ व्रत में सूर्य की उपासना में शरीक होते हैं। दरअसल भगवान भास्कर को किसी भी धर्म से जोड़ना पाप के समान है। खेत में फसल पर सूर्य की कृपादृष्टि धर्म के आधार पर नहीं होती है। आप गीले कपड़े धूप में डालते हैं तो सूर्य यह नहीं पूछता है कि इस कपड़े का धर्म क्या है। वह तो समान भाव से सबके ऊपर अपनी कृपा बरसाता है।