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दिल्ली: कोरोना ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचाया. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. लोग बेरोजगार हुए, इनकम घटी और अब महंगाई ने लोगों का दम निकाल रखा है. इस बीच एक बुरी खबर ये भी आई है कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में भारत को देरी हो सकती है. अमेरिकी कंपनी ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें 3 साल तक की देरी की अनुमान लगाया गया है.
दुनिया के कई देशों में आर्थिक मुद्दों पर काम करने वाली बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज (BofA) का कहना है कि भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का महत्वकांक्षी लक्ष्य हासिल करने में तीन साल तक की देरी हो सकती है. भारत ने 2029-30 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा था लेकिन अब ये लक्ष्य पूरा करने में 2031-32 तक का इंतजार करना पड़ सकता है.
कोरोना से पहले भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही थी लेकिन जैसे ही दुनिया पर कोरोना का कहर टूटा, भारत की अर्थव्यवस्था चरमरा गई. देश का सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) पिछले साल के मुकाबले करीब 16 फीसदी गिर गया. इसके अलावा सर्विस सेक्टर पर भी कोरोना काल का बहुत बुरा असर पड़ा. भारत इस समय दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन अब ये लगभग तय हो गया है कि भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल करने में अनुमानित लक्ष्य से ज्यादा वक्त लगेगा.
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BofA ने 2017 में यह अनुमान जताया था कि भारत 2027-28 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा. यह अनुमान जनसंख्या संबधी लाभ, वित्तीय परिपक्वता में वृद्धि और बड़े बाजार के उभरने जैसी मान्यताओं पर लगाया गया था. BofA के अर्थशास्त्रियों ने कहा था कि तीनों तत्व मजबूत हो रहे हैं. इसके अलावा वैश्विक झटकों से अर्थव्यवस्था के जोखिम को कम कर रुपये को स्थिर रखने में मदद और नरम नीति से वास्तविक ब्याज दर नीचे लाना भी भारत को आगे ले जाता है. BofA ने कहा था कि 2016 से पहले अर्थव्यवस्था की वृद्धि को प्रभावित कर रहे थे जो 2017 में काफी हद तक काबू में थे.
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