दशकों में कोई एक ब्रांड ऐसा निकलता है, जिसका नाम सभी की जुबां पर चढ़ जाता है. कुछ समय पहले तक हवाई सफर करने वालों की जुबां पर भी एक ही नाम होता था 'एयर इंडिया'.
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नई दिल्ली: दशकों में कोई एक ब्रांड ऐसा निकलता है, जिसका नाम सभी की जुबां पर चढ़ जाता है. कुछ समय पहले तक हवाई सफर करने वालों की जुबां पर भी एक ही नाम होता था 'एयर इंडिया'. यह सिर्फ एक कंपनी का नाम नहीं है. बल्कि खुद को ब्रांड के रूप में स्थापित करने वाला वह नाम है जिसमें सफर करने की इच्छा शायद हर किसी की रही हो. सरकारी कंपनी होने के साथ-साथ अपने प्रसिद्ध मस्कट 'महाराजा' के नाम से भी एयरलाइन मशहूर थी. शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इतना बड़ा ब्रांड और पसंदीदा विमानन कंपनी कभी बिकने की कगार पर पहुंच जाएगी. हालांकि, पिछले एक दशक में कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ और नतीजतन आज यह ब्रांड घाटे के बोझ तले दबा है.
बंद हो जाएगी एयर इंडिया?
2014 में आई मोदी सरकार ने कंपनी की दशा सुधारने की तरफ कदम उठाया और इसका निजीकरण कर घाटे से निकालने के लिए प्लान तैयार किया. विनिवेश प्रक्रिया के जरिए प्राइवेट खिलाड़ियों को हिस्सेदारी बेचकर 'महाराजा एयरलाइन' को बचाने की कोशिश की गई. लेकिन, 3 साल बीतने पर भी कोई खरीदार नहीं मिला है. अब यह कंपनी बंद होने की कगार पर पहुंच गई है. हालात ऐसे हैं कि अगर अगले कुछ महीनों में विनिवेश प्रक्रिया पूरी नहीं की गई तो मजबूरन एयर इंडिया को बंद करना पड़ेगा.
क्यों बंद हो जाएगी कंपनी?
दरअसल, एयर इंडिया में प्रस्तावित विनिवेश कार्यक्रम अभिरूचि की अभिव्यक्ति (EoI) की शर्तों के कारण विफल होने पर इसके बंद होने की संभावनाएं बढ़ती नजर आ रही हैं. आशंका जताई जा रही है कि सरकार के सामने और कोई विकल्प नहीं है. क्योंकि, एयरलाइन की सलाहकार फर्म CAPA इंडिया ने बताया है कि सरकार के सामने श्रम व कर्ज की दशाओं में सुधार नाजुक स्थिति में है.
खरीदार को उठाना होगा घाटा!
CAPA इंडिया ने एक ट्वीट में साफ किया कि एयर इंडिया को खरीदने वाली कंपनी या खरीदार को कई वर्षों तक घाटा उठाना पड़ेगा. दरअसल, खरीदार को श्रम व कर्ज को लेकर ईओआई की शर्तों के अनुसार ही रिस्ट्रक्चरिंग में निवेश करना होगा. इससे उसे घाटे में चल रही कंपनी को निकालने की लिए कई वर्षों तक घाटा उठाना पड़ सकता है.
Three key themes emerging on @airindiain divestment: 1) Critical that terms in EOI - particularly for labour & debt – are amended, as successful bidder will need to invest in restructuring and absorbing losses for several years, in addition to consideration paid for 76%. 1 of 3
— CAPA India (@capa_india) May 4, 2018
क्या है बड़ा संकट?
CAPA के मुताबिक, खरीदार को सफल होने की सूरत में राजनीतिक खतरों से भी बचना होगा. इसके लिए उसे किसी तरह के बचाव की गारंटी का भरोसा नहीं दिया जाएगा. हालांकि, भरोसा नहीं मिलने की स्थिति में किसी खरीदार का विनिवेश प्रक्रिया में शामिल होना संश्य भरा है. यह एक बड़ा कारण है कि अभी तक एयरलाइन को कोई खरीदार नहीं मिला है.
फिर बढ़ गई तारीख
तारीख पर तारीख बढ़ती जाएगी लेकिन, क्या खरीदार मिलेगा? एयर इंडिया विनिवेश के संदर्भ में यह एक बड़ा सवाल है. क्योंकि, सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश के लिए रुचि पत्र (EOI) भजने की तारीख बढ़ा दी है. पहले भी इसे लेकर कई तारीखों का ऐलान हो चुका है. अब 31 मई तक इसे बढ़ाया गया है. पहले यह तारीख है कि 14 मई थी. साथ ही 28 मई तक बोलीदाताओं के नाम 28 मई तक सामने आने थे. अब 15 जून तक यह नाम सामने आएंगे.
क्यों बढ़ रही है तारीख?
पिछले साल सरकार ने विनिवेश पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय रखा था. उसके बाद 28 मार्च 2018 को सरकार ने एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने और प्रबंधन नियंत्रण निजी कंपनियों को स्थानांतरित करने का ऐलान किया था. इसमें एयर इंडिया की सहयोगी कंपनियों एयर इंडिया एक्सप्रेस और संयुक्त उद्यम AISATS को भी विनिवेश का हिस्सा बनाने की बात कही थी. लेकिन, अब तक खरीदार नहीं मिलने की स्थिति में मजबूरन सरकार को तारीख बढ़ानी पड़ी है.
चार कंपनियां खींच चुकी हैं हाथ
एयर इंडिया को खरीदने की दौड़ में शामिल चार कंपनियां पहले ही हाथ खींच चुकी हैं. हर बार यह बात सामने आई कि दूसरी एयरलाइन कंपनियां इसे खरीदने में रुचि दिखा रही हैं. जेट एयरवेज, इंडिगो, स्पाइसजेट और टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन के नाम सामने आए थे. यहां तक की एक विदेशी एयरलाइन कंसोर्शियम ने भी इसमें रूचि दिखाई थी. लेकिन, बाद में सभी ने हाथ खींच लिए और सफाई जारी की कि उनकी ऐसी कोई योजना नहीं है. अब हालात ऐसे हैं कि अगर विनिवेश प्रक्रिया अधर में लटकती है तो एयर इंडिया को बंद करने के अलावा मोदी सरकार के पास कोई और विकल्प नहीं होगा.