Finance: अमेरिका में साल 2001-02 के बाद फेड अध्यक्ष ने कम ब्याज दर व्यवस्था को अपनाया था. इससे अमेरिकी बाजार में क्रेडिट को बहुत मजबूती से आगे बढ़ाया. हालांकि इस 'इजी मनी पालिसी' से हाउसिंग मार्केट बबल का निर्माण हुआ जो साल 2008 में आकर फूटा. इससे वैश्विक मंदी देखने को मिली.
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America: वैश्विक मंदी के कारण कई देशों पर आर्थिक संकट देखने को मिल रहा है. कई कंपनियां छंटनी कर रही हैं, जिसके कारण लोगों की नौकरियां भी जा रही है. इसके अलावा मंदी से देशों की अर्थव्यवस्था पर भी काफी असर पड़ता है. दुनिया ने कई आर्थिक संकट देखे हैं. ऐसे में इन आर्थिक संकट से सबक लेना जरूरी है. आइए जानते हैं कि दुनिया में देखे गए आर्थिक संकट से क्या-क्या सबक लिए जा सकते हैं.
अमेरिका में संकट
अमेरिका में साल 2001-02 के बाद फेड अध्यक्ष ने कम ब्याज दर व्यवस्था को अपनाया था. इससे अमेरिकी बाजार में क्रेडिट को बहुत मजबूती से आगे बढ़ाया. हालांकि इस 'इजी मनी पालिसी' से हाउसिंग मार्केट बबल का निर्माण हुआ जो साल 2008 में आकर फूटा. इससे वैश्विक मंदी देखने को मिली.
फाइनेंशियल क्राइसिस
ऐसे में इस संकट से यह सबक मिलता है कि किसी भी क्राइसिस के कारण अति प्रतिक्रिया न करें. कोई भी प्रतिक्रिया आनुपातिक होनी चाहिए नहीं तो बाद में ज्यादा कीमत चुकानी होगी. इसके अलावा इस हाउसिंग मार्केट धराशायी होने के कारण वित्तीय प्रणाली भी बुरी तरह से प्रभावित हुई.
बैंकिंग फर्म
साथ ही निवेश बैंकिंग फर्मों की ओर से Mortgage Loans को सिक्योरिटी प्रॉडक्ट में बदलकर विश्व के निवेशकों को बेचा गया. इससे दुनिया के कई निवशकों का पैसा भी डूबा. इससे सबक मिलता है कि किसी देश के जोखिमों को पूरी दुनिया में न फैलाएं. इसके कारण पूरी दुनिया में असर देखने को मिलता है.
स्टार्टअप बूम
इसके अलावा साल 2010 में भारत में स्टार्टअप बूम हुआ. तब हर किसी को पैसा बांटा गया और बिजनेस को फायनेंस किया गया. हालांकि अब उनमें से कई बिजनेस ठप्प हो चुके हैं और लोगों की नौकरियां भी जा रही है. सिलिकॉन वैली बैंक का अचानक पतन भी इसी का कारण है. इससे ये सबक मिलता है कि बिना सोचे समझे किसी को भी फाइनेंस करने से वो पैसा ज्यादा टिकता नहीं है.
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