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नई दिल्ली: डाटा सिक्योरिटी (Data security) के मुद्दे पर आज गूगल (Google) और पेटीएम (Paytm) के अधिकारी संसद की संयुक्त समिति (Joint Committee of Parliament) के सामने पेश होंगे और अपना पक्ष रखेंगे. बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली समिति निजी आंकड़ा सुरक्षा विधेयक 2019 (Personal Data Protection Bill 2019) का निरीक्षण कर रहीं हैं.
इसके अलावा, टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो (Reliance Jio), भारती एयरटेल (Bharti Airtel) के अधिकारियों को भी नोटिस भेजकर संसद की संयुक्त समिति के सामने पेश होने के लिए कहा गया है. साथ ही ऑनलाइन कार बुकिंग सर्विस देने वाली ओला (Ola), उबर (Uber) और Truecaller के अधिकारियों को भी नोटिस भेजा गया है.
संसदीय समिति की ओर से भेजे गए नोटिस के मुताबिक रिलायंस जियो इन्फोकॉम और जियो प्लेटफॉर्म्स के अधिकारियों को समिति के सामने अपना पक्ष रखने के लिए चार नवंबर को दो अलग-अलग वक्त पर मौजूद रहने के लिए कहा गया है. ओला और उबर के अधिकारी इसके अगले दिन यानी 5 नवंबर को समिते के सामने अपनी हाजिरी देंगे और फिर 6 नवंबर को एयरटेल और ट्रूकॉलर के प्रतिनिधि समिति के सामने उपस्थित होंगे.
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक और ट्विटर, ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन के अधिकारी पहले ही समिति के सामने अपना पक्ष रख चुके हैं.
Personal Data Protection Bill को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 11 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में पेश किया था. इस बिल में लोगों की निजी जानकारियों की सुरक्षा और एक डाटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाने की बात कही गई है. इस बिल को बाद में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त सेलेक्ट समिति को भेज दिया गया. इस प्रस्तावित कानून के तहत किसी व्यक्ति की सहमति के बिना कोई भी संस्था उनके व्यक्तिगत आंकड़ों को स्टोर नहीं कर सकती और न ही उनका इस्तेमाल कर सकती है.
बिल के मुताबिक सोशल मीडिया कंपनियों को अपना एक सर्वर भारत में स्थापित करना होगा, यानी डेटा स्टोरेज विदेशों की बजाय भारत में करना होगा, सिर्फ सोशल मीडिया कंपनियां ही नहीं बल्कि ऑनलाइन सेवाएं देने वाली कई कंपनियों को भी इस बिल के दायरे में लाया जाएगा.
दरअसल इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से डाटा चोरी और लोगों की निजी जानकारियां चोरी होने के कई मामले सामने आए हैं. पिछले कुछ सालों में डाटा चोरी तेजी से बढ़ी है. ये बात भी सामने आई है कि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों की निजी जानकारियां बेची गईं. जैसे लोगों के मोबाइल नंबर टेली मार्केटिंग कंपनियों को बेच दिया गया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ये भी आरोप लगे हैं कि वो कई बार उपभोक्ता की पसंद और नापसंद का विश्लेषण (Data Analysis) कर ये जानकारी कुछ खास लोगों तक पहुंचाते हैं.
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