GST काउंसिल की बैठक में आज गैर बीजेपी राज्य जमकर हंगामा कर सकते हैं. मुआवजे को लेकर दिए गए केंद्र सरकार के सुझाव से ये राज्य खुश नहीं हैं.
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नई दिल्ली: आज होने वाली GST काउंसिल की बैठक हंगामेदार होने के आसार है. मुआवजे को लेकर गैर-बीजेपी राज्य अब भी केंद्र सरकार से नाराज चल रहे हैं. सरकार ने पिछले महीने राजस्व नुकसाने की भरपाई के लिए राज्यों को दो विकल्प दिए थे. पहला या तो राज्य रिजर्व बैंक की ओर से दिए गए स्पेशल विंडो के जिरए 97000 करोड़ रुपये उधार लें, दूसरा 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से उठाएं.
21 राज्यों ने GST राजस्व घाटे की भरपाई के लिए 97 हजार करोड़ रुपये उधार लेने पर सहमति जताई थी, इनमें से ज्यादातर बीजेपी शासित राज्य हैं. जबकि दूसरे राज्य जैसे पश्चिम बंगाल, पंजाब, केरल ने सरकार की ओर से दिए गए किसी विकल्प पर अपनी रजामंदी नहीं जताई.
सूत्रों के मुताबिक आज हो रही 42वीं GST काउंसिल की बैठक में विपक्षी राज्य केंद्र की ओर से सुझाए गए उधारी के विकल्पों का विरोध करेंगे और GST मुआवजे की भरपाई के लिए अल्टरनेटिव मैकेनिज्म की मांग करेंगे. राज्यों का कहना है कि राज्यों का मुआवजा देना केंद्र सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है. राज्यों ने आपस में तय किया है कि वो मुआवजे की भरपाई के लिए किसी भी तरह का कर्ज नहीं लेंगे.
6 गैर-बीजेपी शासित राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी है. और कर्ज लेने के उसके सुझावों का विरोध जताया है. ये राज्य चाहते हैं कि जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए केंद्र सरकार कर्ज ले, जबकि केंद्र सरकार का तर्क है कि वह उन करों के एवज में कर्ज नहीं उठा सकती है, जो उसके खाते के नहीं हैं.
लेकिन जीएसटी कानून के मुताबिक काउंसिल से जारी प्रस्ताव को अगर 20 राज्य स्वीकार कर लेते हैं तो उसे बाकी राज्यों को भी स्वीकार करना होगा. अभी तक 21 राज्यों ने इसे स्वीकार कर लिया है. केंद्र सरकार की कैलकुलेशन के हिसाब से इसमें 97 हजार करोड़ रुपये की कमी के लिए जीएसटी का क्रियान्वयन जिम्मेदार है, जबकि बाकी 1.38 लाख करोड़ रुपये की कमी कोविड-19 की वजह से है.
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