हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद विवादों में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच, ब्लैकस्टोन मामले में अब भी कई अनसुलझे सवाल
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हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद विवादों में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच, ब्लैकस्टोन मामले में अब भी कई अनसुलझे सवाल

 Madhabi Puri Buch: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने भारतीय सिक्योरिटीज और एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए. हिंडनबर्ग के आरोपों पर SEBI और अडानी समूह की सफाई के बावजूद, माधवी पुरी बुच पर उठे सवाल खत्म नहीं हो रहे हैं.

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SEBI Chief Madhabi Puri Buch: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने भारतीय सिक्योरिटीज और एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच पर गंभीर आरोप लगाए. हिंडनबर्ग के आरोपों पर SEBI और अडानी समूह की सफाई के बावजूद, माधवी पुरी बुच पर उठे सवाल खत्म नहीं हो रहे हैं. हिंडनबर्ग ने माधवी पुरी बुच और उनके पति पर मॉरीशस स्थित एक फंड में निवेश का आरोप लगाया, जिस फंड में गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी का बड़ा निवेश है उसमें सेबी चीफ ने भी निवेश किया था.  हिंडनबर्ग का आरोप है कि यह निवेश SEBI की चेयरपर्सन के लिए एक संभावित हितों का टकराव (Conflict of Interest) है. इस आरोप के जवाब में माधबी पुरी ने सफाई दी कि उन्होंने जब निवेश किया था, वो SEBI में कार्यरत नहीं थीं. इसके साथ ही उनपर अमेरिकी निवेश फंड ब्लैकस्टोन के साथ संबंधों को लेकर सवाल उठे है. हालांकि उन्होंने इस पर भी सफाई दी, लेकिन अब भी कई सवाल हैं जिनके जवाब नहीं मिल सके हैं.  

ब्लैकस्टोन के साथ सेबी चीफ के संबंध  

हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया कि सेबी चीफ माधवी पुरी बुच के पति धवल बुच 2019 में ब्लैकस्टोन के सलाहकार बने. ब्लैकस्टोन का भारत में बड़ा निवेश है. खासकर रियल एस्टेट में ब्लैकस्टोन बड़े निवेश किए हैं. सेबी  उस समय रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स के IPO को मंजूरी दे रही थी. हिंडनबर्ग के मुताबिक ये  हितों के टकराव का मामला हो सकता है.
 
ब्लैकस्टोन मामले में अब भी कई अनसुलझे सवाल  

द मॉर्निंग कंटेक्स्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका की प्रमुख निजी इक्विटी फर्म ब्लैकस्टोन के साथ सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के करीबी संबंध हितों के टकराव का मामला है. रिपोर्ट में एक  अनुभवी फंड मैनेजर ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि अमेरिकी फर्म ब्लैकस्टोन का भारत में भारी निवेश है. ब्लैकस्टोन भारत की कई कंपनियों में प्रमोटर है. भले ही माधबी पुरी ब्लैकस्टोन के मामलों में खुद को अलग कर रही हो, लेकिन भारत में इस फर्म के निवेश को देखते हुए उनकी सफाई पर्याप्त नहीं है. 

हितों के टकराव का मामला  

ब्लैकस्टोन से जुड़ाव के आरोपों पर भले ही सेबी चीफ खुद को क्लीनचिट दे रही हो, लेकिन सेबी को अब इस तथ्य से निपटना होगा कि उसके अध्यक्ष का संबंध पहले इस बड़ी कंपनी से था और उसके हितों के संभावित टकराव भी हो सकते हैं. सेबी प्रमुख बुच ने अपने एक बयान में कहा कि उन्होंने  ब्लैकस्टोन से जुड़े सभी मामलों से खुद को अलग रखा था, वहीं  ब्लैकस्टोन की जुड़ी कंपनियां भारतीय बाजार में मौजूद है. 

ब्लैकनस्टोन का बड़ी कंपनियों में निवेश 

द मॉर्निंग कंटेक्स्ट के अनुसार ब्लैकस्टोन ने अपनी सब्सिडियरी कंपनियों के जरिए इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस (अब सम्मान कैपिटल), आधार हाउसिंग फाइनेंस, एसेट एंड वेल्थ मैनेजमेंट फर्म एएसके इंवेस्टेमेंट मैनेजर्स, हॉस्पिटल चेन  केयर हॉस्पिटल्स और आईटी सर्विस कंपनी एमफैसिस सहित कई कंपनियों से जुड़ी हैं.  ऐसे में सवाल महत्वपूर्ण है कि क्या सेबी प्रमुख बुच ने खुद को ब्लैकस्टोन से जुड़ी उन तमाम कंपनियों के मामलों से अलग रखा, जिसमें ब्लैकस्टोन का निवेश है. क्या सेबी के पास उन कंपनियों की लिस्ट है, जिसमें ब्लैकस्टोन का निवेश है. बता दें कि मई 2024 में ही  ब्लैकस्टोन के निवेश वाली रियल एस्टेट कंपनी आधार हाउसिंग ने बाजार में प्रवेश किया, जिसे फरवरी में सेबी से मंजूरी मिली थी. बता दें कि उस वक्त माधबी पुरी सेबी की चेयरपर्सन थी.   भारत में ब्लैकस्टोन का 50 अरब डॉलर से अधिक का निवेश है, जिसमें से 30 अरब डॉलर का निवेश सिर्फ रियल एस्टेट में है.  ब्लैकस्टोन के निवेश वाली कई कंपनियां बाजार में लिस्टेड हैं. ऐसे में माधवी पुरी का खुद को ब्लैकस्टोन से अलग करने का बयान प्रश्नचिन्ह लगाता है. 

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