5 लाख रुपये से खड़ी हुई LIC... आज पाकिस्तान जैसे मुल्क भी नहीं ठहरते, किस्सा अंग्रेजों के जमाने का है
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5 लाख रुपये से खड़ी हुई LIC... आज पाकिस्तान जैसे मुल्क भी नहीं ठहरते, किस्सा अंग्रेजों के जमाने का है

LIC Share Price: एलआईसी के शेयर में गुरुवार के कारोबारी सत्र के दौरान भी तेजी देखी गई. यह शेयर 3.90 रुपये की तेजी के साथ 1002 रुपये पर कारोबार कर रहा है. इससे पहले बुधवार को यह शेयर 998 रुपये पर बंद हुआ था.

5 लाख रुपये से खड़ी हुई LIC... आज पाकिस्तान जैसे मुल्क भी नहीं ठहरते, किस्सा अंग्रेजों के जमाने का है

LIC History: 'जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी...' ये ज‍िंगल पढ़ने के बाद आपकी द‍िमाग में भी एलआईसी (LIC) का नाम आ गया होगा. एलआईसी ऐसी कंपनी है ज‍िस पर करोड़ों भारतीयों का भरोसा है, ऐसी कंपनी जो भारतीय शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ लेकर आई. सरकारी इंश्‍योरेंस कंपनी में सरकार की करीब 97 प्रत‍िशत ह‍िस्‍सेदारी है. एलआईसी लोगों के द‍िल और द‍िमाग में अपनी अलग जगह बना चुकी है. इंश्‍योरेंस कंपनी के शेयर में तेजी देखी जा रही है और इससे लगातार नए र‍िकॉर्ड बन रहे हैं.

50 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया AUM

ए‍क द‍िन पहले यानी बुधवार को एलआईसी के शेयर में तेजी आने के बाद कंपनी का असेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया. इतना ही नहीं यह रकम पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्तान की जीडीपी (GDP) से दोगुनी है. सालाना आधार पर देखें तो एलआईसी (LIC) की कुल संपत्‍त‍ि में प‍िछले व‍ित्‍तीय वर्ष के दौरान 16.48% की बढ़ोतरी हुई है. व‍ित्‍त वर्ष 2023 में यह आंकड़ा 43,97,205 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 51,21,887 करोड़ रुपये हो गया है.

एलआईसी की मौजूदा संपत्‍त‍ि 616 बिलियन डॉलर
आईएमएफ (IMF) के अनुसार पाक‍िस्‍तान की जीडीपी (GDP) महज 338.24 बिलियन डॉलर है. दूसरी तरफ एलआईसी (LIC) की मौजूदा संपत्‍त‍ि 616 बिलियन डॉलर के करीब है. यह आंकड़ा पाकिस्तान की पूरी इकोनॉमी के दोगुने के करीब है. एलआईसी की चर्चा पीएम मोदी संसद में भी कर चुके हैं. यह फंड तीन पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्तान (338 अरब डॉलर), नेपाल (44.18 अरब डॉलर) और श्रीलंका (74.85 अरब डॉलर) के जीडीपी (GDP) से भी ज्यादा है. आज जो एलआईसी नए र‍िकॉर्ड बना रही है क्‍या आपको उससे जुड़ी कहानी के बारे में पता है?

1818 में इंग्लैंड से भारत में रखा था कदम
भारतीयों की ज‍िंदगी में एक खास जगह बना चुकी एलआईसी (LIC) 1818 में इंग्लैंड से भारत आई थी. तब से लेकर अब तक कई इंश्‍योरेंस कंपन‍ियों ने इसे टक्‍कर देने की कोश‍िश की. लेक‍िन एलआईसी अपने कारोबार में नंबर वन बनी रही. आज हम आपको बताएंगे कैसे एलआईसी ने भारतीय बाजार में कदम रखा और कैसे यह लोगों के दिल तक पहुंच गई. एलआईसी में इस समय एक लाख से ज्‍यादा कर्मचारी हैं और यह 29 करोड़ से ज्‍यादा पॉल‍िसी होल्‍डर्स के साथ देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है.

भारतीयों का नहीं क‍िया जाता था बीमा
लाइफ इंश्‍योरेंस अपने आधुन‍िक रूप में साल 1818 में इंग्लैंड से भारत आया. कोलकाता (तब कलकत्ता) में यूरोपीय लोगों ने ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस की शुरुआत की. भारतीय सरजमी पर पहली बार क‍िसी इंश्‍योरेंस कंपनी की नींव पड़ी थी. उस दौरान बीमा कंपनियों को यूरोपीय समुदाय की जरूरत को पूरा करने के मकसद से भारतीय बाजार में लाया गया था. इन कंपनियों की तरफ से भारतीय मूल के लोगों का इंश्‍योरेंस नहीं क‍िया जाता था.

1870 में पहली लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी की शुरुआत
कुछ साल बाद बाबू मुट्टीलाल सील की कोश‍िशें रंग लाईं और विदेशी लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी ने भारतीयों का इंश्‍योरेंस करना शुरू कर द‍िया. लेकिन भारतीयों से इसके ल‍िए ज्‍यादा प्रीमियम ल‍िया जाता था. इसके बाद बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ इंश्‍योरेंस सोसाइटी ने 1870 में पहली लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी की शुरुआत की. इस कंपनी ने भारतीयों को नॉर्मल प्रीम‍ियम पर इंश्‍योरेंस बेचना शुरू कर द‍िया. 1886 में शुरू हुई भारत बीमा कंपनी भी राष्ट्रवाद से प्रेरित ऐसी ही कंपनियों में से एक थी.

1956 में लाइफ इंश्‍योरेंस कंपन‍ियों का राष्ट्रीयकरण
बीसवीं सदी के शुरुआती दो दशक में बीमा कारोबार में बढ़ोतरी हुई. इसके बाद 1938 में लाइफ इंश्‍योरेंस और नॉन लाइफ इंश्‍योरेंस को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाया गया. धीरे-धीरे लाइफ इंश्‍योरेंस के राष्ट्रीयकरण की मांग उठने लगी. 1944 में विधानसभा में लाइफ इंश्‍योरेंस एक्‍ट 1938 में संशोधन के लिए विधेयक लाया गया. 1947 में देश आजाद हुआ तो नए नियम और काननू बने. 19 जनवरी 1956 को देश में लाइफ इंश्‍योरेंस कंपन‍ियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. राष्ट्रीयकरण के समय देश में करीब 154 भारतीय बीमा कंपनियां, 16 गैर-भारतीय कंपनियां और प्रोविडेंट कंपनियां काम कर रही थीं.

5 लाख रुपये से हुई थी शुरुआत
राष्ट्रीयकरण की प्रक्र‍िया को दो अलग-अलग चरणों में पूरा क‍िया गया. देश की संसद ने 19 जून 1956 को लाइफ इंश्‍योरेंस कार्पोरेशन अध‍िन‍ियम को पार‍ित क‍िया. इसके साथ ही देश में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की नींव पड़ गई. केंद्र सरकार की तरफ से 5 लाख रुपये द‍िये गए और इस रकम से 1 सितंबर 1956 को एलआईसी (LIC) की शुरुआत हो गई. इसकी शुरुआत करने का मकसद लाइफ इंश्‍योरेंस को ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना था. एलआईसी की शुरुआत के समय कॉर्पोरेट ऑफिस के अलावा 5 जोनल ऑफिस, 33 मंडल ऑफिस और 212 ब्रांच ऑफिस बनाए गए.

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