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नई दिल्ली: बहुत अच्छी बात है कि आप अपनी 10 से 6 वाली नौकरी से खुश हैं, लेकिन सब आपकी तरह खुशनसीब नहीं होते. ज्यादातर लोग इस नौकरी के फेर से निकलकर या तो जिंदगी के मजे लेना चाहते हैं, या तो ऑफिस की किचकिच से दूर कुछ ऐसा करना चाहते हैं जो उनके मन का हो. हम बात कर रहे हैं Early Retirement की जिसका भारत में भी चलन काफी बढ़ गया है. लोग अब 60 साल की बजाय 40 साल में ही रिटायरमेंट ले रहे हैं. लेकिन क्या ये इतना आसान है? शायद है भी और नहीं भी. अगर पूरी प्लानिंग के साथ की जाए तो बिल्कुल हो सकता है, और वो प्लानिंग क्या हो सकती है समझिए.
1. निवेश की शुरुआत जल्दी करें
पहले आपको ये तय करना होगा कि रिटायरमेंट तक आपको कितनी रकम चाहिए कि आपकी जिंदगी आसानी से चल सके. फिर उसके लिए आप जितना जल्दी हो सके निवेश शुरू कर दें. जल्दी शुरू करने का फायदा ये है कि आपको मनचाही रकम इकट्ठा करने का काफी वक्त मिलता है. जवानी में आपकी रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा होती है, इसलिए आप ऊंचे रिस्क वाले प्रोडक्ट्स में निवेश कर सकते हैं, जो आपको अच्छा रिटर्न देते हैं. मान लीजिए कि आपने 20-21 साल की उम्र से ही Mutual Funds निवेश करना शुरू कर दिया, तो आपके पास पूरे 20 साल होंगे, जो कि एक लंबा वक्त है. 40 साल की उम्र तक अगर आपके ऊपर कुछ जिम्मेदारियां भी आएंगी तो आपके पास अच्छा खासा पैसा होगा जिससे आप उनका निपटारा कर सकते हैं.
2. सही निवेश करें
40 साल के बाद बिना नौकरी के जिंदगी गुजारने के लिए जरूर है कि आपके पास इतना पैसा होना चाहिए कि आगे चलकर किसी तरह की कोई परेशानी न आए. ऐसे में सही निवेश की जरूरत होती है. जो महंगाई को ध्यान में रखते हुए आपको अच्छा रिटर्न दे सके.
मान लीजिए अभी आप 25 साल के हैं और 40 साल में रिटायर होना चाहते हैं तो आपके अंदर रिस्क लेने की क्षमता शुरू में ज्यादा होगी, फिर धीरे धीरे जब आप रिटायरमेंट की तरफ जाएंगे तो रिस्क क्षमता भी कम होगी. इसलिए शुरू में आपके पोर्टफोलियो में 80 परसेंट हिस्सा इक्विटी (Equity) म्यूचुअल फंड्स का होगा और बाकी 20 परसेंट डेट (Debt) का होगा. फिर रिटायरमेंट तक पहुंचते पहुंचते धीरे धीरे डेट का हिस्सा बढ़ता जाएगा और इक्विटी का घटता जाएगा. ऐसा इसलिए की निवेश की शुरुआत में आप अच्छा रिटर्न पाकर मनचाही रकम इकट्ठा कर सकते हैं, लेकिन बाद में उस पर रिस्क न रहे इसलिए डेट से उसे सुरक्षित कर लें.
3. निवेश का फॉर्मूला
जवानी में रिटायरमेंट लेने के लिए तभी सोचें जब आप उतना पैसा इकट्ठा कर सकें कि बाद की जिंदगी आसानी से चल सके. इसलिए एक आसान सा फॉर्मूला है कि जितना आपका मासिक खर्च है, उसका 200 गुना तक आपके पास पैसा इकट्ठा होना चाहिए, तभी आप रिटायरमेंट की सोचें. जैसे आपका मासिक खर्च अगर 1 लाख रुपये है तो आपको कम से कम 2 करोड़ रुपये इकट्ठा करना होगा. उसके बाद ही रिटायरमेंट की लें. याद रखें जैसे जैसे आपकी सैलरी बढ़ती है आपको अपना निवेश भी बढ़ाते रहना है. ताकि ज्यादा से ज्यादा फंड इकट्ठा हो सके. अपनी कमाई का कम से कम 30 परसेंट हिस्सा आपको SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना होगा, यानि अगर आप मंथली 50,000 रुपये कमाते हैं तो कम से कम 15,000 रुपये निवेश करना होगा.
4. सारे कर्जों से मुक्त हों
अगर आपके ऊपर किसी भी तरह की जिम्मेदारी है, जैसे घर की EMI, कार की EMI या फिर कोई भी ऐसी देनदारी तो उसे पहले पूरा चुकाएं. रिटायरमेंट से पहले पहले आपको एक तरह के Debt Free होना बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर लोन आपकी सेविंग का बहुत बड़ा हिस्सा खा सकता है. जिससे आपकी रिटायरमेंट लाइफ मुश्किल में पड़ सकती है. अगर आपके बच्चे हैं तो उनकी पढ़ाई के लिए अलग से एक फंड जरूर रखें, ताकि आपके रिटायरमेंट से उनकी पढ़ाई पर कोई असर न पड़े. बेहतर होगा आप रिटायरमेंट के बाद भी इनकम का कोई जरिया जरूर रखें. जैसे किराये से कमाई, कोई पार्ट-टाइम जॉब जिसमें आप दिन के 2-3 घंटे अपनी मर्जी के हिसाब से दे सकें. इससे आपकी रिटायरमेंट लाइफ भी चलती रहेगी और खर्चों का बोझ भी ज्यादा नहीं लगेगा.
5. मेडिकल बीमा जरूर लेकर रखें
रिटायरमेंट प्लानिंग का एक बड़ा हिस्सा होता है स्वास्थ्य कवर, क्योंकि बीमारियों का आना जाना लगा रहता है. अस्पतालों का बिल भरने में कहीं आपका निवेश ही खत्म न हो जाए इसके लिए बेहतर होगा कि आप एक बेहतर हेल्थ कवर जरूर लें. इसके लिए जरूरी है कि आप शुरुआत में ही हेल्थ कवर लें, क्योंकि तब आपको ये सस्ता पड़ेगा, बाद में लेने पर आपको इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी. ऐसे ही किसी भी तरह की अचानाक आई मुश्किल से लड़ने के लिए एक 6 महीने का Contingency Fund बनाएं. इमरजेंसी के लिए अपने खर्चों का 3 से 6 गुना तक बैंक या लिक्विड फंड में रखें.
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए आपको किस फंड में किस तरह से निवेश करना चाहिए, इसके लिए आप अपने निवेश सलाहकार से मशवरा जरूर करें. बिना फाइनेंशियल एक्सपर्ट के निवेश करना बिल्कुल वैसा ही जैसे बिना डॉक्टर के मशवरे के अपने आप ही दवा लेकर इलाज करना, जो आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है.
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