RBI को आम आदमी की च‍िंता, चौथी त‍िमाही में ब्‍याज दर का अनुमान 1.4 से 1.9 प्रतिशत
Advertisement
trendingNow12342973

RBI को आम आदमी की च‍िंता, चौथी त‍िमाही में ब्‍याज दर का अनुमान 1.4 से 1.9 प्रतिशत

RBI: नेचुरल रेट उन चीजों से तय होती है, जो लॉन्‍ग टर्म सेव‍िंग-इनवेस्‍टमेंट व्यवहार को प्रभावित करते हैं. देखा जाए तो सेव‍िंग को कम करने या निवेश को बढ़ाने वाले कारक ब्याज की वास्तविक दर को बढ़ाते हैं. 

RBI को आम आदमी की च‍िंता, चौथी त‍िमाही में ब्‍याज दर का अनुमान 1.4 से 1.9 प्रतिशत

RBI Bulletin: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से अपना मंथली बुलेटिन जारी करते हुए बताया गया क‍ि महामारी के बाद भारत की स्वाभाविक ब्याज दर बढ़ गई हैं. इसकी वजह देश के संभावित उत्पादन में तेजी आना है. आरबीआई (RBI) का कहना है कि 2023-24 की चौथी तिमाही के लिए स्वाभाविक ब्याज दर का अनुमान 1.4-1.9% के बीच है. यह 2021-22 की तीसरी त‍िमाही के पिछले अनुमान 0.8-1.0% से ज्यादा है.

ब्याज की वास्तविक दर के स्तर के बारे में बहस को फिर से शुरू क‍िया
वास्तविक ब्याज दर (नेचुरल रेट) उन चीजों से तय होती है, जो लॉन्‍ग टर्म सेव‍िंग-इनवेस्‍टमेंट व्यवहार को प्रभावित करते हैं. देखा जाए तो सेव‍िंग को कम करने या निवेश को बढ़ाने वाले कारक ब्याज की वास्तविक दर को बढ़ाते हैं. विभिन्‍न देशों में अलग-अलग मौद्रिक नीति ने ब्याज की वास्तविक दर के स्तर के बारे में बहस को फिर से शुरू क‍िया है. जुलाई महीने के बुलेटिन में कहा गया, ‘महामारी के बाद के आंकड़ों के साथ भारत के लिए ब्याज की अल्पकालिक वास्तविक दर के अनुमान को अद्यतन करने पर हम इसमें वृद्धि पाते हैं.’ इसमें कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में ब्याज की वास्तविक दर बढ़कर 1.4 से 1.9 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है. यह 2021-22 की तीसरी तिमाही में 0.8-1.0 प्रतिशत थी.’

ब्याज दर के अनुमान के लिए अपने रुख को र‍िफाइन करें
भारत के लिए ब्याज की वास्तविक दर के अपडेट अनुमान पर लेख आरबीआई के आर्थिक नीति शोध विभाग में वरिष्ठ अधिकारी हरेंद्र कुमार बेहरा ने लिखा है. इसमें कहा गया है, ‘नीति निर्माताओं और वित्तीय बाजार प्रतिभागियों को वास्तविक ब्याज दर का अनुमान लगाने के लिए अपने रुख को लगातार परिष्कृत करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह उन नीतियों के लिए एक भरोसेमंद मार्गदर्शिका बना रहे हैं जिनका लक्ष्य स्थायी आर्थिक विकास और स्थिरता प्राप्त करना है.’

लंबे समय में मौद्रिक नीति के प्रभाव के कारण ब्याज की वास्तविक दर अलग-अलग हो सकती है. हालांकि, वृहद आर्थिक सिद्धांत मानता है कि मौद्रिक नीति लंबे समय में तटस्थ है और केवल अस्थायी तौर पर वास्तविक तत्व को प्रभावित कर सकती है. लेख में कहा गया है कि भारत की आबादी संरचना में बड़ी संख्या में युवा आबादी और कामकाजी लोगों की बढ़ती संख्या है. ऐसे में यह स्थिति उच्च बचत और निवेश के साथ-साथ शिक्षा, आवास, विवाह और सेवानिवृत्ति के लिए वित्तीय देनदारियों के जरिये ब्याज की वास्तविक दर को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी. केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. (इनपुट भाषा से भी)

TAGS

Trending news