देश की पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन 18 (वंदे भारत एक्सप्रेस) को प्रधानमंत्री मोदी ने 15 फरवरी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. ट्रायल के दौरान और आधिकारिक रूप से चलाए जाने के बाद कई बार ट्रेन पर पथराव किया गया.
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नई दिल्ली : देश की पहली सेमी हाई-स्पीड ट्रेन 18 (वंदे भारत एक्सप्रेस) को प्रधानमंत्री मोदी ने 15 फरवरी को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. ट्रायल के दौरान और आधिकारिक रूप से चलाए जाने के बाद कई बार ट्रेन पर पथराव किया गया. इससे ट्रेन में भारी नुकसान तो हुआ ही है, यात्रियों को भी इससे खतरा बना रहता है. अब वंदे भारत एक्सप्रेस को पथराव से बचाने के लिए भारतीय रेलवे ने ट्रेन के बाहरी हिस्से में भी कैमरे लगाएं हैं. यदि कोई रास्ते में ट्रेन पर पथराव करता है तो इन कैमरों के माध्यम से पत्थरबाजों की पहचान की जा सकेगी.
पथराव की वारदात में कमी आने की उम्मीद
रेलवे ने यह कदम पथराव की बढ़ती वारदात को देखते उठाया है. हिन्दुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार फरवरी में ट्रेन के कामर्शियल रूप से शुरू होने के बाद रेलवे ने ट्रेन पर चार कैमरे लगाए हैं. 17 मार्च को ट्रेन पर हुए पथराव के बाद गाड़ी के 12 खिड़कियों को बदला गया था. आरपीएफ के डायरेक्टर जनरल ने बताया कि 17 मार्च को हुई पथराव के आरोपी को कैमरे की मदद से पकड़ लिया गया. आपीएफ एक अर्धसैनिक बल है, जो कि रेलवे के यात्रियों की सुरक्षा के साथ रेलवे की संपत्ति की भी सुरक्षा करता है.
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15 फरवरी को पीएम ने किया था रवाना
दिल्ली से वाराणसी के बीच चलने वाली ट्रेन-18 को 15 फरवरी को पीएम मोदी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. इसके बाद 22 फरवरी को हुए पथराव में ड्राइवर की मुख्य खिड़की सहित कुछ अन्य खिड़कियों को भी नुकसान पहुंचा था. यह घटना यूपी के अछल्दा में साथ वाली लाइन से गुजर रही डिब्रूगढ़ राजधानी से एक मवेशी कुचल गया और इससे नाराज लोगों ने उसपर पत्थराव किया. जिससे वंदे भारत एक्सप्रेस भी इसकी चपेट में आ गया.
उस दौरान पत्थर के टुकड़े ड्राइवर की विंडस्क्रीन और कोच संख्या सी4, सी6, सी7, सी8 और सी13 के बाहरी सीसे और सी12 के दो सीसे के पैनलों पर लगे थे. इससे पहले रेलवे ने पत्थरबाजी रोकने और लोगों को समझाने के लिए स्थानीय स्तर पर काउंसलिंग का आयोजन किया और बच्चों के बीच चॉकलेट का भी वितरण किया था.