भारत ने साल 2000 में प्राइवेट और विदेशी निवेश की अनुमति देकर धीरे-धीरे इंश्योरंस सेक्टर को खोलना शुरू किया था. फिलहाल जनरल, लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में 74 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है.
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IRDAI Chief Debashish Panda: इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDAI) के चेयरमैन देबाशीष पांडा ने इंश्योरेंस सेक्टर में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने की बात कही. इसके साथ ही पांडा ने कहा कि 2027 तक ‘सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की जरूरत है. एक बिजनेस न्यूज पेपर के एनुअल फंक्शन को संबोधित करते हुए पांडा ने कहा कि इंश्योरेंस ज्यादा पूंजी जरूरत वाला क्षेत्र है. लिहाजा देश को बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में और अधिक ‘खिलाड़ियों’ की जरूरत है.
अभी 74 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति
भारत ने साल 2000 में प्राइवेट और विदेशी निवेश की अनुमति देकर धीरे-धीरे इंश्योरंस सेक्टर को खोलना शुरू किया था. फिलहाल जनरल, लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में 74 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है. पांडा ने कहा, ‘हमें बहुत ज्यादा पूंजी की जरूरत है, जिसका अर्थ है कि हमें कई नई यूनिटी की जरूरत है. कुछ समेकन भी हो सकता है.’ उन्होंने कहा, 'अगर एफडीआई मार्ग भी खोला जाता है तो इससे घरेलू निवेश में भी वृद्धि होगी, अन्यथा घरेलू निवेश में कमी आ सकती है.
सबको इंश्योरेंस सुविधा मुहैया कराना अहम होगा
शायद अब इंश्योरेंस सेक्टर को शत-प्रतिशत विदेशी निवेश के लिए खोलने का समय आ गया है. इससे अधिक खिलाड़ी इस क्षेत्र में आएंगे और बिना किसी भारतीय भागीदार की तलाश किए अपनी शर्तों पर काम कर सकेंगे. इसके साथ ही पांडा ने कहा कि 2047 तक ‘विकसित भारत’ की तरफ से देश की यात्रा में सबको इंश्योरेंस सुविधा मुहैया कराना अहम होगा. उन्होंने कहा कि इरडा की पहल डिजिटल इंश्योरेंस प्लेटफॉर्म ‘बीमा सुगम’ बीमा क्षेत्र में क्रांति लाने में अहम भूमिका निभाएगी. (भाषा)