रूस-यूक्रेन विवाद के बीच एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) का निवेशकों को लंबे समय से इंतजार है. बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने सिर्फ 22 दिनों में एलआईसी आईपीओ को मंजूरी दे दी है. आमतौर पर इसमें 75 दिन लगते हैं.
Trending Photos
नई दिल्ली: LIC IPO: एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) का लंबे समय से इंतजार कर रहे निवेशकों के लिए बेहद अच्छी खबर है. अब एलआईसी आईपीओ के आने के अटकों पर लगभग विराम लग गया है. बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने एलआईसी आईपीओ ने महज 22 दिनों में ही मंजूरी दे दी है. आमतौर पर इसे मंजूरी मिलने में 75 दिन लगते हैं. बताया जा रहा है कि सेबी ने इसके लिए ऑब्जर्वेशन लेटर जारी किया है.
आपको बता दें कि इससे पहले सेबी (SEBI) ने किसी भी आईपीओ को इतनी जल्दी मंजूरी नहीं दी थी. इसलिए ये उम्मीद जताई जा रही है कि इआईपीओ अब रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के चलते टलने वाला नहीं है. दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बाजार में बिकवाली का माहौल है, जिसके कारण एलआईसी आईपीओ को अगले साल तक टालने की बात की जा रही थी. सरकार ने इस आईपीओ से 60,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है.
ये भी पढ़ें- केंद्रीय कर्मचारियों के DA बढ़ोतरी पर बड़ा अपडेट! 20,484 रुपये तक बढ़ेगी सैलरी, 16 मार्च को हो सकता है ऐलान
गौरतलब है कि LIC ने अभी हाल में फरवरी में मार्केट रेगुलेटर के पास ड्राफ्ट पेपर्स दाखिल किए थे. इस ड्रॉफ्ट के मुताबिक, एलआईसी के कुल 632 करोड़ शेयर में 31,62,49,885 इक्विटी शेयरों बेचने का प्रस्ताव है. इसमें 50 फीसदी हिस्सा योग्य संस्थागत खरीदारों (QIB) के लिए आरक्षित होगा, जबकि गैर-संस्थागत खरीदारों के लिए यह 15 फीसदी होगा.
बाजार में बिकवाली दिखने के कारण LIC के IPO में पैसे लगाने वाले बड़े इन्वेस्टमेंट बैंक सरकार पर लिस्टिंग टालने का दबाव बना रहे हैं. उनका कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अभी बाजार में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव दिख रहा है. इसका असर एलआईसी के आईपीओ पर भी दिख सकता है.
अब एलआईसी आईपीओ को सेबी से मंजूरी मिलने के बाद, यह आईपीओ मंजूरी की तारीख से 12 महीने की अवधि के लिए वैध है. कैबिनेट की बैठक में LIC IPO को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया था. इसमें ऑटोमेटिक रूट से 20 फीसदी तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDIई) की मंजूरी दी गई थी. इस फैसले के बाद एलआई के प्रस्तावित आईपीओ में विदेशी निवेश का रास्ता खुल गया है. लेकिन, बाजार के गिरते माहौल को देखते हुए विदेशी निवेशकों ने बाजार से अपने पैसे वापस लेना शुरू कर दिया है.