Personal Loan News: बैंक लोन को लेकर के RBI की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया है. अब मूडीज (Moody's) इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि पर्सनल लोन (Personal Loan) के लिए नियमों को सख्त करने का आरबीआई का निर्णय सही है.
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Personal Loan News: बैंक लोन को लेकर के RBI की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया है. अब मूडीज (Moody's) इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि पर्सनल लोन (Personal Loan) के लिए नियमों को सख्त करने का आरबीआई का निर्णय सही है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले सप्ताह बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) के लिए असुरक्षित माने जाने वाले पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड जैसे कर्ज से जुड़े नियम को सख्त कर दिया. संशोधित मानदंड में जोखिम भार में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई.
मूडीज ने कहा कि पिछले कुछ सालों में अनसिक्योर्ड बैंक लोन तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे वित्त संस्थानों को अचानक आर्थिक या ब्याज दर के झटके की स्थिति में लोन लागत में संभावित वृद्धि करनी पड़ती है.
मूडीज ने जारी किया बयान
मूडीज ने एक बयान में कहा है कि उच्च जोखिम-भारित परिसंपत्तियों के जरिए से हामीदारी मानदंडों को कड़ा करना लोन के लिए सही कदम है क्योंकि ऋणदाताओं की नुकसान से निपटने की स्थिति बेहतर करने के लिए उच्च पूंजी आवंटित करने की आवश्यकता होगी.
अनसिक्योर्ड लोन को लेकर आया नियम
बयान में कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत का असुरक्षित लोन खंड बहुत प्रतिस्पर्धी हो गया है. इसमें कई नए प्रवेशकों सहित बैंक, एनबीएफसी और वित्त प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियां इस श्रेणी में आक्रामक रूप से लोन बढ़ा रही हैं.
पिछले 2 सालों में 24 प्रतिशत बढ़े पर्सनल लोन
मूडीज के मुताबिक, पिछले दो सालों में पर्सनल लोन में करीब 24 प्रतिशत और ‘क्रेडिट कार्ड’ लोन में औसतन 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि समग्र बैंकिंग क्षेत्र की ऋण वृद्धि करीब 15 प्रतिशत है.
सही है आरबीआई का फैसला
साख तय करने वाली एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने पिछले सप्ताह कहा था कि असुरक्षित माने जाने वाले व्यक्तिगत कर्ज के लिये जोखिम भार बढ़ाकर उपभोक्ता ऋण के मानदंडों को कड़ा करने के रिजर्व बैंक के फैसले से बैंकों की पूंजी पर्याप्तता में 0.6 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है. इस कदम से उपभोक्ताओं को जोखिमपूर्ण बैंक ऋण देना कम हो जाएगा. साथ ही विशेष रूप से गैर-बैंक क्षेत्र पर दबाव पड़ने की संभावना है.
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि इससे कर्ज पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी, ऋण वृद्धि कम होगी और कमजोर वित्तीय संस्थानों के लिये पूंजी जुटाने की जरूरत बढ़ेगी. दूसरी तरफ, उच्च जोखिम भार से अंततः परिसंपत्ति गुणवत्ता बेहतर होगी.
इनपुट - भाषा एजेंसी