दरअसल, सोने में आज जो सुस्ती दिख रही है उसके पीछे कई कारण हैं. इसका सबसे पहला कारण है डॉलर में कमजोरी थमती दिख रही है. अमेरिका में जॉर्जिया चुनाव के बाद अगले राहत पैकेज का रास्ता साफ हो सकेगा, इस उम्मीद में डॉलर सुधरा है. अमेरिकी वायदा बाजार में सोना आज 0.3 परसेंट की गिरावट के साथ 1,941.40 डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड कर रहा है.
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि दो साल के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद एक दिन में ही डॉलर में मजबूती आई है. जिसके चलते सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ा है. सोमवार की तेजी की सबसे बड़ी वजह सीनेट चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत रही है. जॉर्जिया चुनाव के नतीजे आने के बाद ही तय हो सकेगा कि अमेरिकी सीनेट पर किस पार्टी का नियंत्रण होगा. डेमोक्रेट की जीत का मतलब होगा कि प्रेसिडेंट-इलेक्ट जो बाइडन (Joe Biden) अपनी नीतियों को आसानी से लागू कर सकेंगे.
सोमवार को डॉलर में अप्रैल 2018 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था. इसके बाद बुलियन बाजार (Bullion Market) में 2.5 परसेंट तक की तेजी देखने को मिली. अब अमेरिकी करेंसी में मजबूती देखने को मिल रही है. अमेरिका में मैन्यूफैक्चरिंग एक्टिविटी में 6 साल में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली है. जिसकी वजह से सेंटीमेंट में सुधार हुआ है और सोने की कीमतों पर दबाव देखने को मिल रहा है. इंग्लैंड में तीसरी बार लॉकडाउन का ऐलान हुआ है.
बाजार को अब अमेरिकी फेड (Fed) अंतिम बैठक के मिनट्स जारी होने का इंतजार है. कल यानी बुधवार को यह जारी होगा. उम्मीद की जा रही है कि पॉलिसी में जो भी फैसले लिए जाएंगे वो इकोनॉमी को सहारा देंगे. अमेरिका में बढ़ते संक्रमण के बीच फेड रिज़र्व एक और मौद्रिक सपोर्ट का संकेत दे सकता है. ब्याज दरों में गिरावट आगे भी जारी रह सकती है
अब अगर पूरे साल की बात करें तो 2021 में सोने में तेजी बनी रहेगी. एक्सपर्ट मानते हैं कि दुनिया भर में सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने की मांग बनी रहेगी. भविष्य में रीटेल मांग में और सुधार की भी उम्मीद है. महंगाई से हेजिंग के के तौर गोल्ड की मांग बढ़ेगी. इस साल सेंट्रल बैंकों से भी ज्यादा लिक्विडिटी की उम्मीद बनी रहेगी.
सोने के लिहाज से देखा जाए तो साल 2020 में 28 परसेंट से ज्यादा रिटर्न दिया और चांदी ने 45 परसेंट से ज्यादा रिटर्न दिया. कॉमेक्स गोल्ड में इस साल 24 परसेंट से ज्यादा की तेजी रही.
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