Plastic Currency: दुनिया के इन 23 देशों में नहीं दिखती कागज की करंसी, चलते हैं ऐसे अद्भुत नोट; आप जानकर रह जाएंगे दंग
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Plastic Currency: दुनिया के इन 23 देशों में नहीं दिखती कागज की करंसी, चलते हैं ऐसे अद्भुत नोट; आप जानकर रह जाएंगे दंग

Currency in the World: भारत में देश की आजादी के पहले से कागज के करंसी नोट चल रहे हैं लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में 23 देश ऐसे भी हैं, जहां कागज के नोट नहीं दिखते. इसके बजाय वहां पर ऐसी करंसी चल रही है, जिसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे.  

 

Plastic Currency: दुनिया के इन 23 देशों में नहीं दिखती कागज की करंसी, चलते हैं ऐसे अद्भुत नोट; आप जानकर रह जाएंगे दंग

Plastic Currency in the World: देश में 2 हजार रुपये के नोटों को 30 सितंबर तक वापस लेने की घोषणा की गई है. कई सारे लोग इसे नोटबंदी- 2 बता रहे हैं. वहीं सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 2 हजार के नोट की वजह से देश में ब्लैक मनी बढ़ने की आशंका पैदा रही थी. साथ ही कागज के इन नोटों की जीवन अवधि भी पूरी हो गई थी. जिसके चलते यह कदम उठाना जरूरी हो गया था. 

इन 23 देशों में नहीं चलते कागज के नोट

सरकार के इस फैसले के साथ ही देश में करंसी नोटों की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गई है. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में 23 देश ऐसे भी हैं, जहां कागज के नहीं बल्कि प्लास्टिक के नोट चलते हैं. इनमें से 6 देशों ने अपनी करंसी को पूरी तरह प्लास्टिक के नोटों से बदल लिया है. आप चौंक गए ना लेकिन ये पूरी तरह सच है. आज हम ऐसे ही देशों के बारे में आपको विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं. 

ऑस्ट्रेलिया

दुनिया में ऑस्ट्रेलिया ऐसा पहला देश थे, जिसने वर्ष 1988 में ही प्लास्टिक के नोटों (Plastic Currency in the World) की शुरुआत की. वह दुनिया का इकलौता देश भी है, जहां पॉलिमर नोटों का उत्पादन किया जाता है. इन नोटों के दूसरे देशों को निर्यात भी किया जाता है. 

न्यूजीलैंड

न्यूजीलैंड ऑस्ट्रेलिया का पड़ोसी देश है. उसने अपने यहां वर्ष 1999 में कागज की करंसी (Plastic Currency in the World) को पॉलिमर यानी प्लास्टिक करंसी से रिप्लेस कर दिया था. इस करंसी को वहां पर न्यूजीलैंड डॉलर कहा जाता है. वहां पर इस तरह का सबसे छोटा नोट 5 डॉलर और सबसे बड़ा 100 डॉलर का होता है.

पापुआ न्यू गिनी

पापुआ न्यू गिनी प्रशांत महासागर में बसा एक छोटा सा द्वीपीय देश है. उसे वर्ष 1949 में ऑस्ट्रेलिया से आजादी मिली थी. इसके बावजूद वर्ष 1975 तक वहां पर ऑस्ट्रेलियन डॉलर करंसी ही चलती रही. इसके बाद उसने कीना के रूप में नई करंसी (Plastic Currency in the World) अपनाई. वर्ष 2000 के आसपास इस करंसी को प्लास्टिक नोटों से बदल दिया गया. 

ब्रूनेई

ब्रुनेई दक्षिण पूर्व एशिया में बसा एक छोटा सा मुस्लिम देश है. इस देश की गिनती दुनिया के सबसे धनी देशों में होती है. वहां की करंसी को ब्रूनेई डॉलर कहते हैं. देश में फर्जी करंसी नोटों के मामले बढ़ने के बाद ब्रूनेई ने भी अपने यहां प्लास्टिक के नोटों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था. 

वियतनाम

वियतनाम दक्षिण पूर्व एशिया का एक देश है. उसने अपने यहां प्लास्टिक के नोटों (Plastic Currency in the World) की शुरुआत वर्ष 2003 में की थी, जिसे वियतनामी डोंग कहा जाता है. वहां पर सबसे बड़ा नोट 5 लाख का होता है, जो 20 अमेरिकी डॉलर के बराबर माना जाता है. 

रोमानिया

यूरोप में प्लास्टिक नोटों को अपनाने वाला रोमानिया पहला और अकेला देश है. उस देश की करंसी को रोमैनियन लेऊ कहा जाता है. वर्ष 2005 में ही सरकार ने रोमानिया के करंसी नोटों को पॉलिमर नोटों में बदल दिया था.

प्लास्टिक नोटों को क्यों बेहतर मान रहे देश 

फाइनेंशल एक्सपर्टों के मुताबिक प्लास्टिक नोट (Plastic Currency in the World) में गंदगी और नमी बहुत लगती है. इसकी नकल करना भी बहुत मुश्किल है. कागज के नोटों की तुलना में ये करीब ढाई गुणा ज्यादा चलते हैं. यही वजह है कि दुनिया के देशों में इनका चलन बढ़ता जा रहा है. अगर भविष्य में ऐसे नोट आपको भारत में भी चलते दिखाई दे जाएं तो हैरान मत होइएगा.

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