कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने 120 से अधिक क्षेत्रीय कार्यालयों से नियोक्ताओं पर ‘इंप्लायज डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम’ (ईडीएलआई) के बदले उनके द्वारा ली गयी बीमा पॉलिसी के लिए प्रीमियम के रूप में वेतन का कम-से-कम 0.5 प्रतिशत का भुगतान के लिए जोर नहीं देने को कहा है।
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नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने 120 से अधिक क्षेत्रीय कार्यालयों से नियोक्ताओं पर ‘इंप्लायज डिपोजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम’ (ईडीएलआई) के बदले उनके द्वारा ली गयी बीमा पॉलिसी के लिए प्रीमियम के रूप में वेतन का कम-से-कम 0.5 प्रतिशत का भुगतान के लिए जोर नहीं देने को कहा है।
इस निर्देश से नियोक्ता अपने कर्मचारियों के लिये बीमा कंपनियों से समूह बीमा योजनाएं ले सकेंगे जिसका प्रीमियम ईडीएलआई के तहत जरूरी वेतन का 0.5 प्रतिशत से कम है। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, ईडीएलआई छूट प्रस्तावों पर गौर करते समय कई कार्यालय ईडीएलआई के बदले बीमा कंपनियों द्वारा पेश की गयी योजनाओं में नियोक्ताओं से न्यूनतम प्रीमीयम के रूप में वेतन का 0.5 प्रतिशत के भुगतान के मानदंड का पालन करने के लिये जोर देते हैं। इसमें कहा गया है कि कर्मचारी भविष्य निधि विविध प्रावधान कानून तथा ईडीएलआई योजना, 1976 के तहत ईडीएलआई योजना से छूट का प्रावधान इस मानदंड का समर्थन नहीं करता कि नियोक्ताओं द्वारा ईडीएलआई छूट मामले दिया गया प्रीमीयम वेतन का 0.5 प्रतिशत से कम नहीं हो। आदेश के अनुसार, क्षेत्रीय कार्यालय ईडीएलआई छूट मामलों को देखते समय मानदंड के पालन के लिये जोर नहीं दे सकते..।’
फिलहाल नियोक्ता कर्मचारियों को बेहतर पेशकश देने के लिये बाजार में उपलब्ध बीमा उत्पाद लेकर ईडीएलआई में योगदान से छूट की मांग कर सकते है।। इस प्रकार की समूह बीमा के लिये जरूरी है कि वह ईडीएलआई के समरूप या उससे बेहतर हो और उस पर ईपीएफओ की सहमति हो।
ईडीएलआई के तहत नियोक्ताओं को प्रीमीयम के रूप में मूल वेतन का 0.5 प्रतिशत देना होता है। हालांकि नियोक्ता कम प्रीमीयम पर इसी प्रकार का उत्पाद या उससे बेहतर ले सकते हैं। ईपीएफओ द्वारा प्रबंधित ईडीएलआई एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसके तहत अंशधारकों की मृत्यु होने पर उसके द्वारा नामित व्यक्ति को अधिकतम 3.6 लाख करोड़ रपये की बीमा राशि मिलती है।