Rapid Rail Features: अगर आप पैसेंजर ट्रेन में बैठकर साहिबाबाद से मेरठ या मेरठ से साहिबाबाद जाते हैं तो करीब एक घंटा 45 मिनट लगते हैं जबकि रैपिड रेल (Rapid Rail) से ये दूरी सिर्फ 30 से 35 मिनट में पूरी हो जाएगी.
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Rapid Rail Inauguration: जिस रेल की रफ्तार वंदे भारत ट्रेन से भी तेज है वो अब देश की पटरी पर दौड़ने वाली है. देश की पहली रैपिड रेल (Rapid Rail) तैयार है. 20 अक्टूबर से इसका पहला फेज शुरू होने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन खुद करेंगे. रैपिड रेल, जो मेट्रो जैसी लगती जरूर है लेकिन सुविधाओं के मामले में मेट्रो से दो कदम आगे है. जान लें कि 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली रैपिड रेल दिल्ली-NCR के लिए नया वरदान है. जान लें कि साहिबाबाद रैपिड रेल का वो पहला स्टेशन होगा जहां से सबसे पहले ट्रेन चलेगी. रैपिड रेल का साहिबाबाद स्टेशन दिखने में दिल्ली मेट्रो की तरह ही लगता है. वही एंट्री प्वाइंट, वैसी ही चेकिंग, टिकट लेने के लिए वैसा ही मशीन, उसी तरह का प्लेटफॉर्म, फिर नया क्या है? आइए इसके बारे में बताते हैं.
अभी इन 5 स्टेशनों के बीच चलेगी रैपिड रेल
बता दें कि रैपिड रेल में चढ़ने के बाद आपको सबसे बड़ा बदलाव दिखेगा यानी जो पहली चीज आपको मेट्रो से अलग दिखेगी वो है इसकी खूबसूरत सीटें. जान लें कि रैपिड रेल का पूरा नेटवर्क 82 किलोमीटर लंबा है, जिसमें कुल 25 स्टेशन होंगे. 30 हजार 274 करोड़ रुपये की लागत का ये प्रोजेक्ट जून 2025 में पूरा होगा. लेकिन साहिबाबाद से लेकर दुहाई डिपो तक का काम पूरा हो चुका है. इसलिए सबसे पहले साहिबाबाद से दुहाई तक कुल 5 स्टेशनों के बीच रैपिड रेल चलाई जा रही है.
क्या है रैपिड रेल का रूट?
अभी इसका पहला फेज शुरू हो रहा है. साहिबाबाद-गाजियाबाद-गुलधर-दुहाई-दुहाई डिपो ये 17 किलोमीटर का रूट है. इसमें 13-14 मिनट लगेंगे. रैपिड रेल में कुल 6 कोच होंगे. एक प्रीमियम कोच और पांच स्टैंडर्ड कोच. प्रीमियम कोच में स्टैंडर्ड कोच के मुकाबले ज्यादा सुविधाएं होंगी. स्क्रीन पर आपकी बाईं ओर प्रीमियम कोच की सीटें होंगी और दाहिनी तरफ स्टैंडर्ड कोच की सीटें होंगी, जिसमें 72 लोग बैठ सकते हैं. अब प्रीमियम कोच में विशेष सुविधा क्या है ये भी समझ लीजिए.
रैपिड रेल में क्या है खास?
रैपिड रेल का प्रीमियम कोच खास है. इस प्रीमियम कोच में पैर रखने के लिए अलग से स्टैंड दिया गया है. इसका किराया भी अलग होगा. ज्यादा रौशनी नहीं चाहिए तो शील्ड डाउन कर सकते हैं. सामान रख सकते हैं. यहां पर खाने-पीने की चीजें मिलेंगी. यानी आम यात्रियों की सुविधा के लिए शताब्दी ट्रेन या हवाई जहाज की इकोनॉमी क्लास की तरह रैपिड रेल में रिक्लाइनिंग सीटें लगाई गई हैं. रफ्तार से लेकर सुविधाओं तक अगर आप मेट्रो से तुलना करें तो रैपिड रेल बहुत आगे दिखाई देगी.
मेट्रो से क्यों बेहतर है रैपिड रेल?
जान लें कि मेट्रो की अधिकतम रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे तक है जबकि रैपिड रेल की रफ्तार 160 से 180 किलोमीटर प्रति घंटे है. सामान्य रफ्तार यानी जिस रफ्तार से रोजाना सफर करना है वो ज्यादातर मेट्रो का 35 किलोमीटर प्रति घंटे के आस-पास है और रैपिड रेल का 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा रहेगा. मेट्रो हर 5 से 7 मिनट में आती है और रैपिड रेल हर 15 मिनट में आएगी. स्टॉपेज पर मेट्रो 20 सेकेंड तक रुकती है जबकि रैपिड रेल के रुकने का समय 30 सेकेंड है. मेट्रो सुबह 5 बजे से रात साढ़े 11 बजे तक चलती है और रैपिड रेल सुबह 6 बजे से लेकर रात 11 बजे तक चलेगी.
कितना होगा रैपिड रेल का किराया?
मेट्रो में भी एक कोच महिलाओं के लिए रिजर्व होता है और रैपिड रेल में भी एक स्टैंडर्ड कोच महिलाओं के लिए होगा. उनकी हिफाजत के लिए सुरक्षाकर्मी भी होंगे. रैपिड रेल की यात्रा के लिए प्रीमियम या स्टैंडर्ड जो भी टिकट चाहिए ले सकते हैं. स्टैंडर्ड किराया साहिबाबाद से दुहाई तक 50 रुपये होगा, मीनिमम किराया 30 रुपये होगा. प्रीमियम में साहिबाबाद से दुहाई तक 90 रुपये और मिनिमम 50 रुपये होगा.