RBI Annual Report 2021: दाल और फूड ऑयल की कीमतों में बनी रहेगी तेजी, गेहूं-चावल होगा सस्ता!
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RBI Annual Report 2021: दाल और फूड ऑयल की कीमतों में बनी रहेगी तेजी, गेहूं-चावल होगा सस्ता!

RBI ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि लॉकडाउन का सीधा असर सप्लाई पर भी पड़ा है. इसलिए इस वर्ष भी दाल और फूड ऑयल की कीमतों में इजाफा हो सकता है. हालांकि गेहूं और चावल की कीमतों में गिरावट आ सकती है. 

RBI Annual Report 2021: दाल और फूड ऑयल की कीमतों में बनी रहेगी तेजी, गेहूं-चावल होगा सस्ता!

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को अपनी सालाना रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि दाल (Pulse) और एडिबल ऑयल (Edible oil) जैसे फूड आइटम्स के भाव में तेजी बनी रह सकती है. इनके भाव बढ़ भी सकते हैं. हालांकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में बंपर पैदावार को देखते हुए आने वाले समय में अनाज की कीमतों में नरमी आने के संकेत दिए हैं. 

कोरोना बनेगा महंगाई के कारण

रिजर्व बैंक ने कहा कि महामारी की दूसरी लहर का असर मार्च में संक्रमण मामलों के बढ़ने के कारण आगे चलकर महंगाई पर भी दिख सकता है. इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक का मानना है कि कच्चे तेल के दाम में निकट भविष्य में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित इंफ्लेशंस (Inflations) से फूड इंफ्लेशन (Food Inflation) का पता चलता है. 

लॉकडाउन के चलते प्रभावित हुई सप्लाई

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)-आधारित फूड इंफ्लेशन पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के बाद बढ़ गई, जब​​​​कि थोकमूल्य सूचकांक (WPI) में शामिल उत्पादों की इंफ्लेशन इस दौरान कम हो गई. इससे सप्लाई चेन में रुकावट की भूमिका का अंदाजा लगाया जा सकता है. यानी किसानों से मंडी होते हुए फसल कंपनियों तक पहुंचने और फिर प्रोसेसिंग के बाद उत्पाद कंपनी से उपभोक्ता तक पहुंचने की जो श्रृंखला है, वह लॉकडाउन के कारण काफी हद तक प्रभावित हुई थी.

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इस बार अनाज की कीमतों में आएगी नरमी

आरबीआई ने कहा कि साल के दौरान थोक और खुदरा इंफ्लेशन के बीच पर्याप्त अंतर लगातार आपूर्ति बाधाओं और खुदरा मार्जिन अधिक रहने की ओर इशारा करता है. इससे माल एवं सामग्री का बेहतर आपूर्ति प्रबंधन महत्वपूर्ण हो गया है. इसमें कहा गया है, ‘मांग और आपूर्ति में असंतुलन बने रहने से दलहन और खाद्य तेल जैसे खाद्य पदार्थों की ओर से दबाव बने रहने की संभावना है, जबकि वर्ष 2020-21 में अनाज की बंपर पैदावार के साथ अनाज की कीमतों में नरमी आ सकती है.’ 

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कच्चे तेल की कीमतों में हो सकता है इजाफा

वहीं कच्चे तेल की कीमतों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनियाभर में मांग बढ़ने की उम्मीद में दाम बढ़ने लगे हैं जबकि दूसरी तरफ तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) सदस्य और उनके सहयोगी दूसरे देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती को जारी रखा हुआ है. रिजर्व बैंक ने कहा कि निकट भविष्य में कच्चे तेल की कीमतों में उतार- चढ़ाव बना रहने की उम्मीद है.

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महामारी ने किया देश की अर्थव्यवस्था पर घाव

महामारी के चलते बाजार में कंपीटिशन यानी प्रतिस्पर्धा कम हुई है. मार्च 2021 से कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले और लगाई गई पाबंदियों के कारण सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. रिजर्व बैंक ने कहा कि वर्ष 2020-21 के दौरान मुख्य इंफ्लेशन औसतन 6.2 प्रतिशत रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.4 प्रतिशत अंक अधिक है. वहीं थोक मूल्य सूचकांक आधारित इंफ्लेशन 2020-21 के दौरान कमजोर रही. WPI आधारित इंफ्लेशन 2020-21 में कम होकर 1.3 प्रतिशत रह गई, जो वर्ष 2019-20 में 1.7 प्रतिशत थी.

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