बजट से मिडिल क्लास को निराशा मिली तो अब उसकी नजर आरबीआई पर आकर टिक गई है. सभी को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लंबे वक्त के इंतजार को इस बार खत्म करेगा. देश की आर्थिक हालात ठीक है, अर्थव्यवस्था भी तेजी से विकास कर रही है.
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RBI REPO Rate: बजट से मिडिल क्लास को निराशा मिली तो अब उसकी नजर आरबीआई पर आकर टिक गई है. सभी को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लंबे वक्त के इंतजार को इस बार खत्म करेगा. देश की आर्थिक हालात ठीक है, अर्थव्यवस्था भी तेजी से विकास कर रही है. ऐसे में उम्मीद तो है कि रिजर्व बैंक 8 फरवरी को जब मौद्रिक समीक्षा बैठक के फैसलों का ऐलान करेगी तो मिडिल क्लास के चेहरे खिल जाएंगे.
क्या ब्याज दरों में होगी कटौती?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक होने 6 से 8 फरवरी को होने वाली है. इस बैठक पर लोगों कि निगाहें टिकी है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक साल से रेपो रेट को स्थिर रखा है. ऐसे में होम लोन की ईएमआई भरने वालों को इंतजार है कि रिजर्व बैंक उन्हें राहत देगा. अगर आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है तो बैंकों को कम दरों में लोन मिलेगा. रिजर्व बैंक को कम दरों पर लोन मिलेगा तो वो कम ब्याज दरों पर लोगों को लोन देंगे. ब्याज दरों में कटौती होने से ईएमआई का बोझ कम होगा. ब्याज दर कम होने से खर्च और निवेश को बढ़ावा मिलता है, जो अर्थव्यवस्था को और गति देता है.
क्या है संभावना?
ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे लोगों को झटका लग सकता है. माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया फिलहाल ब्याज दरों में कटौती करने के बजाए उसे स्थिर रख सकता है. यानी एक बार फिर से रेपो रेट 6.5 फीसदी बनी रह सकती है. माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक इस बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव शायद ही करे. दरअसल आरबीआई के सामने महंगाई दर को नियंत्रित करने की चुनौती है. देश में खुदरा महंगाई की दर अब भी संतोषजनक दायरे के ऊपरी स्तर के करीब है, ऐसे में ब्याज दर कम होने की संभावना कम ही है. माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक रेपो दर को 6.5 फीसदी पर स्थिर रख सकती है.
कब मिलेगी खुशखबरी
ज्यादातर बैंकर और अर्थशास्त्री का मानना है कि आरबीआई साल के दूसरे छमाही में रेपो रेट में कटौती कर सकता है. वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों से गुजर रही है. विश्व दो युद्ध के संकट से जूझ रहा है. वहीं यमन के हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर में हमले की वजह से ग्लोबल सप्लाई चेन में संकट में है. ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था को इन चुनौतियों से बचाने के लिए आरबीआई ब्याज दरों को एक बार फिर से स्थिर रख सकता है. एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर रोक के रूख पर कायम रखेगा. रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई रेपो रेट में पहली कटौती जून 2024 में कर सकती है. वहीं रिपोर्ट में ये भी कहा जा रहा है कि अगस्त 2024 में ब्याज दरों में कटौती तय है.
दरों में नहीं होगी कटौती
अमेरिकी फेडरल रिजर्व और ब्रिटेन के केंद्रीय बैंकों ने संकेत दिया है कि वे जल्दी दरें नहीं घटाएंगे। रिजर्व बैंक खुश है क्योंकि महंगाई धीरे-धीरे कम हो रही है और अर्थव्यवस्था भी अच्छी चल रही है। ऐसे में अभी आपको लोन और ईएमआई पर ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा, लेकिन उम्मीद है कि साल के अंत तक दरें कम हो जाएंगी।