कोरोना की सबसे कारगर दवाओं में से एक रेमडेसिविर की ओवरप्राइसिंग को लेकर काफी खबरें आ रहीं थीं, मांग उठ रही थी कि दुकानदार इसको बेहिसाब तरीके से ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं और स्टॉक जमा कर रहे हैं. इस पर अब महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने एक्शन लिया है. इसकी कीमतों को फिक्स कर दिया है.
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नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) की सबसे कारगर दवाओं में से एक मानी जा रही रेमडेसिविर (Remdesivir) को लेकर बड़ी खबर है. WHO की स्टडी में भले ही रेमडेसिविर को बहुत कारगर नहीं पाया गया हो, लेकिन डॉक्टरों की ओर से जोरदार प्रिस्प्रिक्शन की वजह से मांग इतनी है कि महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt.) को एक्शन लेना पड़ा है. राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने बाकायदा इसकी सीमा तय कर दी है. यानी जरूरतमंद मरीजों को अब इस दवा के लिए बेवजह की ऊंची कीमत नहीं देनी पड़ेगी.
अस्पतालों में अब ये दवा 2240 रुपये प्रति वायल से ऊपर के दाम पर नहीं बिकेगी. जबकि केमिस्ट से खरीदने के लिए 2360 रुपये प्रति वायल का रेट होगा. दवा कंपनियां रेमडेसिविर दवा को सीधे अस्पतालों और राज्य के चुनिंदा केमिस्ट्स तक पहुंचाएंगी. दवा के लिए डॉक्टर की पर्ची के साथ कोराना पॉजिटिव होने की टेस्ट रिपोर्ट, आधार कार्ड का ब्यौरा भी देना होगा
रेमडेसिविर की सबसे कम कीमत 2800 रुपए है. लेकिन शुरुआत में कंपनियों ने इसे 5000 रुपये से भी अधिक के MRP पर उतारा था. हालांकि अस्पतालों को इससे कम रेट में सप्लाई होती थी, लेकिन मरीजों से बिलिंग में पूरा रेट लगाया जाता था. अब भी अस्पतालों में 4500 रुपये के आसपास की रकम ली जाती है. ब्लैक मार्केट में एक वायल का रेट 30,000 रुपये तक गया था.
रेमडेसिविर 100 mg का 6 डोज मरीजों को दिया जाता है. आमतौर पर दवाओं की कीमत NPPA तय करती है. लेकिन इमरजेंसी ऑथराइजेशन वाली दवा होने से दवाओं की कीमतें रेगुलेट करने वाली संस्था NPPA (National Pharmaceutical Pricing Authority) ने इसमें दखल नहीं दिया है. इसी वजह से राज्य सरकार ने अपनी तरफ से दवा कंपनियों से बातचीत कर कीमत नीचे लाने की पहल की है.
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