छंटनी नहीं, नौकरी छोड़ने के लिए एंप्लॉय को मजबूर कर रही कंपनियां; क्यों बढ़ रही साइलेंट फायरिंग?
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छंटनी नहीं, नौकरी छोड़ने के लिए एंप्लॉय को मजबूर कर रही कंपनियां; क्यों बढ़ रही साइलेंट फायरिंग?

Private Jobs: कंपनियां जब कर्मचारियों का बिना ले-ऑफ किए नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करने की स्ट्रेटजी अपनाती हैं, तो इसे खामोश छंटनी यानी साइलेंट फायरिंग कहते हैं.

छंटनी नहीं, नौकरी छोड़ने के लिए एंप्लॉय को मजबूर कर रही कंपनियां; क्यों बढ़ रही साइलेंट फायरिंग?

Silent Firing: कंपनियों द्वारा एडवांस टेक्नोलॉजी को अपनाने को लेकर जारी जद्दोजहद के बीच जॉब्स को लेकर एक हैरान करने वाली रिपोर्ट सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों में तेजी से टेक्नोलॉजी को अपनाने के साथ-साथ खामोश छंटनी यानी साइलेंट फायरिंग भी बढ़ी है.

कंपनियां जब कर्मचारियों को अप्रत्यक्ष रूप से उनकी भूमिका छोड़ने के लिए मजबूर करने की रणनीति अपनाती हैं, तो इसे खामोश छंटनी कहते हैं. एंप्लॉय सॉल्यूशन एवं एचआर सर्विस प्रोवाइडर कंपनी जीनियस कंसल्टेंट्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 प्रतिशत कंपनियां गैर जरूरी पदों के लिए छंटनी को प्राथमिकता दे रहे हैं. 

रिपोर्ट में किया गया दावा

रिपोर्ट के मुताबिक, साइलेंट फायरिंग अक्सर लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ जुड़ी होती है, जिसमें कंपनियां बदलते वर्कप्लेस के साथ तालमेल बैठाने के लिए अलग-अलग स्ट्रेटजी को अपनाते हैं. जीनियस कंसल्टेंट्स की यह रिपोर्ट एक सर्वे पर आधारित है, जिसमें 1223 कंपनियां और 1069 एंप्लॉय से रायशुमारी की गई है. 

नौकरी छोड़ने के लिए किया जाता है मजबूर

इस सर्वे में में शामिल 79 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि वे तकनीकी बदलावों के अनुकूल अपने मौजूदा कर्मचारियों का कौशल बढ़ाने को प्राथमिकता देते हैं. दूसरी ओर 10 प्रतिशत ने कहा कि वे गैर जरूरी पदों के लिए छंटनी को पहले चुनते हैं. इसमें कहा गया कि छह प्रतिशत कंपनियां खराब प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को ज्यादा काम सौंपने की स्ट्रेटजी अपनाते हैं, ताकि वे खुद नौकरी छोड़ दें.

रिपोर्ट में कहा गया है कि साइलेंट फायरिंग विवादास्पद बनी हुई है. 34 प्रतिशत कंपनियों ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया है, जबकि 28 प्रतिशत इसका बार-बार और 29 प्रतिशत कभी-कभार साइलेंट फायरिंग करते हैं. 

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