Manmohan Singh News: कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने एक बयान में कहा, "परिवार की निजता का सम्मान करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता सरदार डॉ मनमोहन सिंह जी की अस्थियों को चुनने और विसर्जित करने के लिए परिवार के साथ नहीं गए."
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Manmohan Singh Funeral: कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि परिवार की निजता का सम्मान करते हुए पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए परिवार के साथ नहीं गया. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अस्थियां उनके परिवार के सदस्यों ने सिख रीति-रिवाजों के अनुसार मजनू का टीला गुरुद्वारे के निकट यमुना नदी में विसर्जित कर दीं. बीजेपी ने आरोप लगाया कि इस मौके पर गांधी परिवार का कोई सदस्य और कांग्रेस का कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा जो शर्मनाक है.
कांग्रेस ने दिया दो टूक बयान
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने एक बयान में कहा, "परिवार की निजता का सम्मान करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता सरदार डॉ मनमोहन सिंह जी की अस्थियों को चुनने और विसर्जित करने के लिए परिवार के साथ नहीं गए." उनके मुताबिक, दिवंगत नेता के अंतिम संस्कार के बाद सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी ने उनके निवास पर परिवार से मुलाकात की.
उन्होंने कहा,"उनसे चर्चा करने के बाद यह महसूस किया गया कि चूंकि अंतिम संस्कार के समय परिवार को कोई निजता नहीं मिली और परिवार के कुछ सदस्य चिता स्थल पर नहीं पहुंच पाए, इसलिए उन्हें फूल चुनने और अस्थियों के विसर्जन के लिए कुछ निजता देना उचित होगा जो कि करीबी परिवार के सदस्यों के लिए भावनात्मक रूप से पीड़ादायक और कठिन वक़्त होता है." मनमोहन सिंह का गत 26 दिसंबर की रात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था. वह 92 वर्ष के थे. 28 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया था.
अस्थि विसर्जन पर नदारद रहे कांग्रेस नेता
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अस्थियां के विसर्जन के दौरान कांग्रेस नेता नदारद रहे थे. इसको लेकर भाजपा के कई नेताओं ने कांग्रेस पर तंज कसा था. भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने आरोप लगाया था कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के अस्थि विसर्जन के वक्त कांग्रेस का कोई नेता मौजूद नहीं था.
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, "यह देखकर बहुत दुख हुआ कि डॉ. मनमोहन सिंह जी की अस्थियां विसर्जित किए जाने के समय कांग्रेस या गांधी परिवार का एक भी सदस्य मौजूद नहीं था. मीडिया का ध्यान खींचने और राजनीति करने के लिए कांग्रेस मौजूद थी, लेकिन जब उन्हें सम्मान देने की बात आई तो वे नदारद हो गए. वाकई शर्मनाक है.