NCDFI ने आपत्ति जताई है कि सोया और बादाम से बनाए गए प्रोडक्ट्स 'मिल्क' या 'मिल्क प्रोडक्ट' नहीं कहे जा सकते, जैसा कि पनीर, दही है, क्योंकि दूध से बने प्रोडक्ट हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि मामला काफी दिलचस्प है (interesting) है इसलिए मामले की सुनवाई 14 सितंबर को की जाएगी.
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नई दिल्ली: क्या Soya Milk को 'मिल्क' कहा जा सकता है, इसी बात को लेकर आज दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में बहस हुई. दरअसल कोर्ट में एक याचिका रखी गई, जिसमें तर्क दिया गया कि सोया मिल्क और बादाम से बनाए गए प्रोडक्ट्स को 'दूध' नहीं कहा जा सकता है. याचिकाकर्ता के इस मुद्दे पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को अपना पक्ष बताने के लिए कहा है.
कहने को तो शेक्सपियर ने कहा है कि नाम में क्या रखा है, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट में आज एक ऐसा मामला पहुंचा जिसमें सारा बवाल ही नाम को लेकर है. दरअसल आज दिल्ली हाई कोर्ट के सामने एक मामला आया है, वो ये कि जो भी उत्पाद गैर-स्तनधारी (non-mammal) स्रोतों से आएं हैं, जैसे पौधे वगैरह. क्या उसे दूध या दूध प्रोडक्ट (milk or milk products) कहा जा सकता है. इसी मुद्दे पर हाई कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और फूड सेफ्टी रेगुलेटर FSSAI से जवाब मांगा है.
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National Cooperative Dairy Federation of India (NCDFI) की याचिका पर जस्टिस रेखा पल्ली ने केंद्र, दिल्ली सरकार और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) समेत कई कंपनियों से इस मामले पर जवाब तलब किया है. इसमें Hershey जैसी कंपनियां भी शामिल हैं, जो soy milk नाम से प्रोडक्ट बेचती है.
Hershey के अलावा हाई कोर्ट ने कई दूसरी कंपनियों से भी उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस भेजा है, इसमें Rakyan Beverages Pvt Ltd है, जो कि Rawpressery ब्रांड के तहत प्रोडक्ट्स बेचती है, इसके अलावा Drums Food International Pvt Ltd भी है, जिसका Epigamia ब्रांड है.
NCDFI को-ऑपरेटिव डेयरी सेक्टर की सर्वोच्च संस्था है, जिसने इस बात पर आपत्ति जताई है कि सोया और बादाम से बनाए गए प्रोडक्ट्स 'मिल्क' या 'मिल्क प्रोडक्ट' नहीं कहे जा सकते, जैसा कि पनीर, दही है, क्योंकि दूध से बने प्रोडक्ट हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि मामला काफी दिलचस्प है (interesting) है इसलिए मामले की सुनवाई 14 सितंबर को की जाएगी.
आपको याद दिला दें कि साल 2017 में Amul और HUL को लेकर भी ऐसा ही एक विवाद छिड़ा था, ये मामला भी कोर्ट पहुंचा था. दरअसल, हिंदुस्तान यूनिलीवर और वाडीलाल ग्रुप ने एक टीवी विज्ञापन को लेकर अमूल पर मुकदमा दायर किया था. HUL Kwality Wall's के नाम से आइसक्रीम बेचती है. कंपनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में मामला दायर कर अमूल के टीवी विज्ञापन को भ्रामक बताया था. तब अमूल ने इस विज्ञापन को आइसक्रीम और फ्रोजन डेजर्ट्स के बीच अंतर समझाने वाला बताया था. विज्ञापन में बताया गया है कि अमूल आइसक्रीम असली दूध से बनते हैं जबकि फ्रोजन डेजर्ट्स वेजिटेबल ऑयल से बनते हैं, इसलिए उन्हें आइसक्रीम नहीं कह सकते. HUL बॉम्बे हाई कोर्ट में ये केस जीत गया था.
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