सुप्रीम कोर्ट से यूनीटेक के चंद्रा ब्रदर्स को नहीं मिली राहत, जमानत के लिए रखी शर्त
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सुप्रीम कोर्ट से यूनीटेक के चंद्रा ब्रदर्स को नहीं मिली राहत, जमानत के लिए रखी शर्त

जेल में बंद चन्द्रा बंधुओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय में 2015 में दर्ज आपराधिक मामले में उनकी याचिका खारिज होने के बाद शीर्ष अदालत से अंतिरम जमानत का अनुरोध किया है.

यह मामला गुरुग्राम में स्थित यूनीटेक परियोजनाओं के 158 घर खरीददारों ने दायर किया है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने रीयल एस्टेट फर्म यूनीटेक के प्रवर्तकों संजय चन्द्रा और अजय चन्द्रा को अंतिरम जमानत देने से शुक्रवार (15 सितंबर) को इंकार करते हुये कहा कि अपना धन वापस मांगने वाले खरीददारों के आंकड़े उपलब्ध होने के बाद ही उनकी याचिका पर विचार किया जायेगा. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, ‘‘हम धन या फ्लैट चाहने वाले खरीददारों के बारे में आंकडे मिलने के बाद ही जमानत याचिका पर विचार करेंगे. इस मामले को 21 सितंबर को सूचीबद्ध किया जाये. न्याय मित्र सुनवाई की अगली तारीख पर न्यायालय को वेबसाइट्स के बारे में सूचित करें.’’

शीर्ष अदालत ने न्याय मित्र को 21 सितंबर तक एक वेबसाइट का सृजन करने और उस पर कंपनी से फ्लैट या धन वापसी की मांग करने वाले सभी खरीददारों का विवरण अपलोड करने का निर्देश दिया है. जेल में बंद चन्द्रा बंधुओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय में 2015 में दर्ज आपराधिक मामले में उनकी याचिका खारिज होने के बाद शीर्ष अदालत से अंतिरम जमानत का अनुरोध किया है. यह आपराधिक मामला गुरुग्राम में स्थित यूनीटेक परियोजनाओं-वाइल्ड फ्लावर कंट्री और अंथिया परियोजना के 158 घर खरीददारों ने दायर किया है.

न्याय मित्र पवन श्री अग्रवाल ने कहा कि उन्हें अभी तक कंपनी की करीब 55 परियोजनाओं का पता चला है. नौ परियोजनाओं में करीब चार हजार घर खरीददारों के कंपनी को लगभग 1800 करोड़ रुपए का भुगतान किये जाने का अनुमान है.

अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम इस समय कंपनी की 74 परियोजनाओं में 17,000 फ्लैट खरीददारों के मामले देख रहे हैं. हमें सारे आंकड़े एकत्र करने और पूरी तस्वीर न्यायालय के समक्ष रखने के लिये समय चाहिए.’’ कंपनी प्रवर्तकों के वकील अभिमन्यू भण्डारी ने कहा कि दोनों को अंतिरम जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि उन्हें धन वापस मांगने या फ्लैट चाहने वाले निवेशकों को हितों को देखना है.

पीठ ने इस पर टिप्पणी की कि कंपनी ने पहले कहा था कि उस पर सिर्फ 55 करोड़ रुपए की ही देनदारी है. ऐसी स्थिति में कंपनी को सभी परियोजनाओं का विवरण न्याय मित्र को उपलब्ध कराना होगा ताकि हमारे सामने वस्तुस्थिति स्पष्ट हो सके.

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