SEBI: सेबी ने BSE को आदेश दिया है कि वह इस आदेश की तारीख से एक सप्ताह के भीतर रिफंड प्रक्रिया की निगरानी करे. साथ ही ट्रैफिक्सोल को निर्देश दिया गया है कि वह बोलियां लगाने वालों के डिमैट खातों में ट्रांसफर शेयरों को रद्द करने के लिए जरूरी कदम उठाए.
Trending Photos
Trafiksol ITS IPO: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने मंगलवार को ट्रैफिक्सोल (Trafiksol) ITS टेक्नोलॉजीज को 45 करोड़ रुपये का IPO रद्द करने और निवेशकों को ब्याज समेत पैसा वापस करने का आदेश दिया है. सेबी ने यह फैसला कंपनी के प्रोस्पेक्टस में भ्रामक जानकारी और एक शेल एंटिटी के साथ संदिग्ध मिलीभगत की खबरें आने के बाद लिया गया है.
ट्रैफिक्सोल ITS एक नोएडा स्थित कंपनी है, जो ट्रैफिक और टोल मैनेजमेंट प्रोजेक्ट्स के लिए इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स और ऑटोमेशन सॉल्यूशंस प्रदान करती है.
अक्टूबर में BSE ने निवेशकों की चिंताओं के बाद ट्रैफिक्सोल ITS टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (TITL) की SME प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग को स्थगित कर दिया था. 45 करोड़ रुपये का यह IPO 345 गुना से अधिक सब्सक्राइब हुआ था, जिससे 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की बोलियां प्राप्त हुई थीं.
सेबी ने पैसा वापस करने का दिया आदेश
सेबी ने बीएसई को आदेश दिया है कि वह इस आदेश की तारीख से एक सप्ताह के भीतर रिफंड प्रक्रिया की निगरानी करे. साथ ही ट्रैफिक्सोल को निर्देश दिया गया है कि वह बोलियां लगाने वालों के डिमैट खातों में ट्रांसफर शेयरों को रद्द करने के लिए जरूरी कदम उठाए.
दरअसल, कंपनी के शेयर एक्सचेंज पर लिस्टेड होने से पहले बीएसई को स्मॉल इन्वेस्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (SIREN) से एक शिकायत मिली थी. 16 पेज के अपने आदेश में सेबी ने कहा है कि ट्रैफिक्सोल ने जानबूझकर एक संदिग्ध तृतीय-पक्ष विक्रेता (TPV) द्वारा प्रस्तुत किए गए धोखाधड़ी दस्तावेजों पर भरोसा किया. जिससे 17.7 करोड़ रुपये के सॉफ्टवेयर खरीद को सही ठहराया जा सके.
ट्रैफिक्सोल सेबी को समझाने में विफल
इसके अलावा सेबी की जांच में यह भी पता चला कि TPV एक शेल एंटिटी थी, जिसके फाइनेंशिल रिकॉर्ड संदिग्ध थे. इसके अलावा सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में उसके पास कोई पूर्व अनुभव नहीं था. इसलिए सेबी ने निष्कर्ष निकाला है कि TPV का चयन फर्जी प्रोफाइल और जाली वित्तीय दस्तावेजों के आधार पर किया गया था.
जबकि ट्रैफिक्सोल ने दावा किया कि उसने केवल TPV से एक कोटेशन प्राप्त किया था और उसे अपनी प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत सेलेक्ट किया था. लेकिन कंपनी यह स्पष्ट रूप से समझाने में विफल रही कि उसने पहली बार में इसे क्यों चुना.