यशवंत पेंढरकर ने एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद कड़ी मेहनत से विको लेबोरेटीज को खड़ा किया है. विको लेबोरेटीज की कहानी वाकई दिलचस्प है. यह कहानी 70 साल पहले एक छोटे से किचन से शुरू हुई थी.
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Keshav Pendharkar Busines Worth: अगर आपने भी दूरदर्शन देखा है तो ‘विको वज्रदंती, विको पेस्ट…आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बना संपूर्ण स्वदेशी’ और 'वीको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक, वीको टरमरिक आयुर्वेदिक क्रीम' जैसे जिंगल जरूर सुने होंगे. इन सभी जिंगल्स के पीछे जिस शख्स का दिमांग था आज उनका निधन हो गया. जी हां, विको लेबोरेटीज चेयरमैन यशवंत केशव पेंढरकर का आज 85 साल की उम्र में निधन हो गया. यशवंत पेंढरकर अपने पीछे पत्नी शुभदा, बेटे अजय और दीप, बेटी दीप्ति के अलावा कई नाते-पोतों को छोड़कर गए हैं. उनके जाने से पूरा परिवार शोक में है. नागपुर के सिविल लाइन स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली.
कड़ी मेहनत से विको लेबोरेटीज को खड़ा किया
यशवंत पेंढरकर ने एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद कड़ी मेहनत से विको लेबोरेटीज को खड़ा किया है. विको लेबोरेटीज की कहानी वाकई दिलचस्प है. यह कहानी 70 साल पहले एक छोटे से किचन से शुरू हुई थी. इतनी छोटी सी जगह से शुरू होकर ये ब्रांड आज कई अरब रुपये की कंपनी बन चुका है. इतने साल बाद भी लोग इस ब्रांड को पसंद करते हैं. Vicko ब्रांड का पूरा नाम विष्णु इंडस्ट्रियल केमिकल कंपनी है. यह नाम कंपनी के फाउंडर केशव विष्णु पेंढारकर के नाम पर रखा गया था. उनके कारोबार शुरू करने की कहानी नागपुर के एक किराना स्टोर से शुरू हुई. उन्होंने इस दुकान को अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए खोला था.
असली कहानी मुंबई के परेल से शुरू हुई
विको (Vicko) ब्रांड की कहानी यहां से और ज्यादा दिलचस्प हो जाती है. केशव अपने लाइफ में और ज्यादा सीखना चाहते थे, इसलिए वह नागपुर से मुंबई आ गए. वहां उन्होंने बांद्रा और आसपास के इलाकों में कई छोटे-मोटे काम किए. लेकिन असली कहानी मुंबई के परेल इलाके से शुरू होती है. वहां पर घूमते हुए केशव ने देखा कि लोग ज्यादा विदेशी दवाइयां और कॉस्मेटिक इस्तेमाल कर रहे हैं. बस इसी बात ने उन्हें अपना बिजनेस शुरू करने की तरफ प्रेरित किया.
पहला आयुर्वेदिक टूथ पाउडर तैयार कि
आयुर्वेदिक उत्पादों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करने के बाद उन्होंने पहला आयुर्वेदिक टूथ पाउडर तैयार किया. इसे उन्होंने अपनी रसोई में ही तैयार किया था. मार्केटिंग और सेल्स का रास्ता काफी चुनौती भरा था. शुरुआत में कामयाबी नहीं मिलने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. इसके बाद उन्होंने और उनके बेटे ने घर-घर जाकर अपना टूथ पाउडर बेचना शुरू कर दिया. कई बार लोगों ने उन्हें मना भी किया लेकिन वो मेहनत में लगे रहे. आखिरकार उन दोनों की कोशिश रंग लाई और उनका टूथ पाउडर सबको पसंद आने लगा.
1952 में केशव पेंढरकर ने अपने बनाए हुए प्रोडक्ट को 'विको' नाम दिया. इसके बाद उनकी शुरुआती यात्रा काफी खास थी. इस दौरान विको का बिजनेस तेजी से बढ़ा और लोगों ने उनके प्रोडक्ट को खूब पसंद किया. सिर्फ चार साल में ही विको मार्केट का बड़ा नाम बन गया. आज विको लेबोरटीज का कारोबार 700 करोड़ से ज्यादा का है. विको, टूथपेस्ट के साथ बाजार में और भी कई चीजें लेकर आई है जैसे फेसवॉश, ब्यूटी क्रीम और नाइट क्रीम आदि. विको के आज बाजार में कुल 40 से ज्यादा प्रोडक्ट हैं. कंपनी का कारोबार देश ही नहीं विदेशों में भी फैला है.