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नई दिल्ली: भगोड़े विजय माल्या (Vijay Mallya) को लंदन हाईकोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है. मंगलवार को हाई कोर्ट (High Court) ने बैंकरप्सी याचिका को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने भारत में माल्या की संपत्ति पर लगाया गया सिक्योरिटी कवर हटा लिया है. हाई कोर्ट के इस फैसले से SBI की अगुवाई वाले बैंकों के कंसोर्शियम को माल्या से कर्ज वसूली की एक नई राह दिखी है.
SBI की अगुवाई वाली भारतीय बैंकों के कंसोर्शियम ने लंदन हाई कोर्ट में अपनी याचिका में अपील की थी कि वह माल्या का भारत में संपत्ति पर लगाया गया सिक्योरिटी कवर हटा ले, जिसे लंदन हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी. कोर्ट का ये फैसला भारतीय बैंकों के लिए बड़ा राहत लेकर आया है, क्योंकि अबतक वो वसूली नहीं कर पा रहे थे, अब बैंक्स भारत में माल्या की संपत्ति को नीलाम करके अपना कर्ज वसूल सकेंगे.
दरअसल, ब्रिटेन की हाई कोर्ट ने SBI की अगुवाई वाली कंसोर्शियम को विजय माल्या की दिवालिया हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस से कर्ज की वसूली के संबंध में अपनी याचिका में संशोधन की इजाजत दे दी. अदालत ने याचिका में संशोधन करने के आवेदन को सही करार दिया. कोर्ट ने कहा कि कोई भी बैंक भारत में माल्या की संपत्ति को बंधक मुक्त कर सकता है ताकि दिवालिया मामले में फैसले के बाद सभी कर्जदाताओं को फायदा हो सके.
लंदन हाईकोर्ट के चीफ इन्सॉल्वेंसी एंड कंपनीज कोर्ट (ICC) के जज माइकल ब्रिग्स ने भारतीय बैंकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि ऐसी कोई पब्लिक पॉलिसी नहीं है जो माल्या की संपत्ति को सिक्योरिटी राइट्स दे. कोर्ट ने इस मामले में अंतिम सुनवाई के लिए 26 जुलाई की तारीख तय की है. ये सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होगी जिसमें माल्या के पक्ष या उसके खिलाफ दिवालिया आदेश देने के लिए अंतिम बहस होगी। बैंकों का आरोप है कि माल्या मामले को लंबा खींचना चाहता है.
आपको बता दें कि विजय माल्या भारतीय बैंकों को 9000 करोड़ रुपए का चूना लगाकर लंदन भाग गया था. उसे भारत लाने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं. माल्या अपने प्रत्यर्पण को टालने की हर कोशिश कर चुका है. माल्या ब्रिटेन में प्रत्यर्पण का केस हार चुका है, साथ ही ब्रिटेन के गृह मंत्रालय से शरण की अपील भी खारिज हो चुकी है. बावजूद इसके माल्या के भारत प्रत्यर्पण में देरी हो सकती है. विजय माल्या के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने और धोखाधड़ी करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं. माल्या ने खुद को बचाने के लिए जुलाई 2020 में भारत सरकार को 14,000 करोड़ रुपये का एक सेटलमेंट भी ऑफर किया था, उसकी शर्त थी कि बैंक पैसे लें और उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के सभी केस बंद किए जाएं. इसके पहले भी माल्या बैंकों को कई ऑफर दे चुका था, लेकिन बैंकों ने उसका कोई ऑफर स्वीकार नहीं किया था.
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